नई दिल्ली। एक साधारण कर्मचारी के रूप में नौकरी शुरु कर बिजनेस की दुनिया में डंका बजाने वाले ज़ोहो कॉर्पोरेशन के श्रीधर वेम्बू की जीवन यात्रा प्रेरणादायक है। अपनी कंपनी शुरु करने के लिए उन्होंने कोई बाहरी फंडिंग भी नहीं ली। फिर भी जीरो से शुरु कर एक बड़ा बिजनेस साम्राज्य खड़ा कर दिया। फोर्ब्स के अनुसार, श्रीधर वेम्बू की नेट वर्थ 39,000 करोड़ रुपये है। उनकी बहन राधा वेम्बू भी कंपनी को नई उंचाइयों तक ले जा रही हैं।

नौकरी छोड़ शुरु किया बिजनेस मिली जबरदस्त सक्सेस

सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी जोहो कॉर्प (Zoho Corp) के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम में लगभग 2 साल नौकरी की। फिर सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट से अपने बिजनेस की शुरुआत की। बिजनेस के पहले ही साल में जबरदस्त सफलता हासिल हुई। 500 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू मिला। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब 18 मिलियन से ज्यादा लोग इस साफ्टवेयर का यूज करते हैं। श्रीधर वेम्बू अमेरिका में अपनी कंपनी चलाई। फिर तमिलनाडु के एक गांव में स्कूल खोला।

श्रीधर वेम्बू कौन हैं?

 श्रीधर वेम्बू का जन्म साल 1968 में चेन्नई के एक साधारण परिवार में हुआ था। शुरुआती दिनों से ही पढ़ाई में तेज वेम्बू ने IIT मद्रास से ग्रेजुएशन किया। Princeton University से साल 1989 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट किया। इलेक्ट्रॉनिक फील्ड में करियर बनाने की चाहत थी, पर कंप्यूटर साइंस के सेक्टर में करियर बनाया। पीएचडी के दौरान उन्होंने पॉलिटिकल साइंस और इकोनॉमिक्स पर ध्यान दिया तो भारत में अवसरों के बारे में जाना और एक नई शुरुआत कर दी।

2 साल नौकरी करने के बाद बिजनेस की शुरुआत

पीएचडी के बाद 2 साल तक नौकरी करने वाले श्रीधर वेम्बू बाद में भारत लौटे और अपना बिजनेेस शुरु किया। तब लोग उनके कदम से सरप्राइज थे। पर उनकी बिजनेस को सफल करने की जिद ऐसी थी कि पहले  ही साल में 100 से ज्यादा कस्टमर बने। साल 1996 में कुछ नया करने की चाहत में उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म एडवेंटनेट की शुरुआत की। पहले ही साल में 500 मिलियन डॉलर का बिजनेस हुआ। साल 2009 में इस कम्पनी का नाम बदलकर जोहो कॉर्पोरेशन किया गया जो सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस सेक्टर में काम करती है। 

माइग्रेशन ट्रेंड बदलने के लिए गांव में बनाया आफिस

श्रीधर वेम्बू की कम्पनी आगे बढ़ती गई तो गांवों से लगाव की वजह से उन्होंने चेन्नई के अलावा एक गांव में भी आफिस बनाया, जो तमिलनाडु के तेनकासी जिले के माथलमपराई गांव में है। यह आइडिया उन्हें तब आया, जब कंपनी में चेन्नई से बाहर के ​कर्मियों की नियुक्ति हुई। तभी उन्होंने सोचा कि गांव से शहर की तरफ होने वाले पलायन को बदला जाए। पहले तेनकासी जिले में रेंट पर एक छोटा सा आफिस लिया। फिर माथलमपराई गांव में पुरानी फैक्ट्री खरीदकर उसे परिसर में बदल दिया। वह गांव में एजूकेशन को बढ़ावा देने में जुटे हैं।

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