नई दिल्‍ली। राजस्थान के रहने वाले गौरव पचौरी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी की प्रिपरेशन शुरू कर दी। चार साल दिल्ली में बिताएं। पर सक्सेस नहीं मिली,  कई बार असफल हुए। इस चुनौती का सामना करने के बाद कॅरियर का दूसरा विकल्प चुना। किसान बनने का फैसला कर गांव लौटें और मोती की खेती शुरू कर दी। अब महीने में लाखो रुपये कमा रहे हैं। आइए जानते हैं गौरव पचौरी की सक्सेस स्टोरी। 

सरकारी नौकरी के एग्जाम में असफल, लौटें राजस्थान

कई साल तैयारी के बाद भी जब गौरव पचौरी सरकारी नौकरी के एग्जाम पास करने में असफल रहें। तब उन्हें अपने कॅरियर में आगे बढ़ने के लिए दो रास्ते दिखे। पहला कि वह  प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते रहें और दूसरा फार्मिंग का कॅरियर अपनाएं। गौरव ने फॉर्मिंग का कॅरियर चुना और राजस्थान वापस लौटें। खेती भी कुछ नये तरीके से करने की ठानी थी। काफी सोच समझकर पर्ल फार्मिंग में 5 दिन की ट्रेनिंग ली और मोती की खेती की शुरूआत कर दी। यह काम लीक से हटकर था। 

कैसे शुरू की मोती की खेती?

मोती की खेती में सफलता के लिए गौरव ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। अब उनके पास खेती में सक्सेस के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था। पूंजी के तौर पर 21 लाख रुपये इंवेस्ट किए थे।  150 x 80 फीट का तालाब बनाया था। जिसमें कुल 8 लाख रुपये खर्च हुए थे। तालाबा में 1.15 लाख सीप डाले थे। यह काम भी इतना आसान नहीं था। एक लंबी जर्नी थी और लगातार मेहनत भी। 

मोती की खेती में कितनी कमाई?

बहरहाल, 21 महीने की कड़ी मेहनत रंग लाई। गौरव को अपने तालाब से कुल 110 मोती निकालने में सफलता मिली। उनकी बिक्री से 1.25 करोड़ रुपये की आय हुई। खेती में इंवेस्ट किए गए 21 लाख रुपये भी निकाल दिए जाएं तो उन्हें करीबन 80 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। खुद 55 लाख रुपये बचाए। यानी इंवेस्टमेंट का 2.5 गुना।

कभी हार न मानने की भावना महत्वपूर्ण

इस तरह गौरव ने सरकारी नौकरी की तैयारी से लेकर एक सफल मोती किसान बनने का सफर तय किया। उनकी कहानी कुछ नया करने वाले युवाओं के लिए इंस्पिरेशनल है। जिस तरह उन्होंने रिस्क लेकर ठोस तैयारी के साथ हार्ड वर्क किया। सफलता के लिए सिर्फ वही अहम नहीं होता, बल्कि कभी हार न मानने की भावना भी सफलता के लिए काम करती है। 

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