पढ़ाई में कमजोर माने जाने वाले राकेश चोपदार ने अपने पिता की फैक्ट्री से करियर की शुरुआत की और आज एक अरब डॉलर के ग्लोबल बिजनेस के मालिक हैं। जानें उनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी।
नई दिल्ली। राकेश चोपदार की इंस्पिरेशनल स्टोरी उन लोगों के लिए सबक है, जो फेलियर से हार मान लेते हैं। एक समय पढ़ाई में फेल समझे जाने वाले राकेश आज एक अरब डॉलर के बिजनेस के मालिक हैं। ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में उनकी एक खास पहचान है। उनकी यह सक्सेस साबित करती है कि असफलता केवल एक पड़ाव है, मंजिल नहीं।
पढ़ाई में फिसड्डी थे, सुनने पड़ते थे ताने
राकेश का बचपन सामान्य नहीं था। पढ़ाई में कमजोर होने के कारण परिवार और दोस्तों से ताने सुनने पड़े। 10वीं की परीक्षा में खराब परफॉर्मेंस ने उनके कांफिडेंस को बुरी तरह झकझोर दिया। कई लोगों ने उन्हें 'नाकारा' तक कहा और भविष्य में असफल होने की भविष्यवाणी भी कर दी थी। इन सबके बावजूद राकेश ने हार नहीं मानी। उन्होंने स्कूल छोड़ने के बाद अपने पिता की नट-बोल्ट बनाने की फैक्ट्री 'एटलस फास्टनर्स' में काम करना शुरू किया। यहीं से उनकी लर्निंग शुरू हुई। फैक्ट्री में तकनीकी और प्रबंधन कौशल सीखा, जिसने उनके भविष्य की नींव रखी।
2008 में खुद की कंपनी की शुरुआत
12 साल तक फैमिली बिजनेस में काम करने के बाद, राकेश ने 2008 में 'आजाद इंजीनियरिंग' की शुरुआत की। यह शुरुआत बहुत छोटी थी—एक छोटे से शेड में सेकंड-हैंड CNC मशीन से। उनको बिजनेस में पहला बड़ा ब्रेकथ्रू तब मिला, जब उन्हें थर्मल पावर टर्बाइन्स के लिए एयरफॉइल बनाने का बड़ा ऑर्डर मिला। यह ऑर्डर उनकी कंपनी के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। उनकी कंपनी को ग्लोबल पहचान दिलाई।
बनाते हैं उद्योगों के लिए यूजफुल प्रोडक्ट्स
आज, आजाद इंजीनियरिंग एनर्जी प्रोडक्शन, मिलिट्री विमान और तेल-गैस सेक्टर्स के लिए हाई-प्रिसिशन रोटेटिंग पार्ट्स बनाती है। उनकी कंपनी ने रोल्स-रॉयस, बोइंग, GE और प्रैट एंड व्हिटनी जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ पार्टनरशिप की है। 2008 में कंपनी का रेवेन्यू सिर्फ 2 करोड़ रुपये था। साल 2023-24 में यही ₹350 करोड़ तक बढ़ गया। कंपनी की पब्लिक लिस्टिंग कराई और अब उनकी कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर से अधिक है।
नई परियोजनाओं पर जोर
आजाद इंजीनियरिंग 800 करोड़ रुपये के निवेश से 2,00,000 वर्ग मीटर की नई फेसिलिटी का निर्माण कर रही है। यह सुविधा एयरोस्पेस, रक्षा, और ऊर्जा क्षेत्रों के लिए होगी। कंपनी ने हाल ही में DRDO के साथ हाइब्रिड टर्बो-गैस जनरेटर बनाने का करार किया है। इसका पहला बैच 2026 तक तैयार होगा।
सैकड़ों लोगों को रोजगार
राकेश ने केवल अपने सपनों को साकार नहीं किया, बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार के अवसर दिए। आज उनकी कंपनी सैकड़ों परिवारों का सहारा है। उनकी कहानी युवाओं को यह सिखाती है कि कड़ी मेहनत, धैर्य, और सीखने की लगन से असंभव भी संभव हो सकता है।
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Last Updated Dec 13, 2024, 12:06 PM IST