जानें कैसे यूपीएससी में सफलता न मिलने के बाद भी एमपी के सुधीर गर्ग ने हार नहीं मानी और 10 लाख रुपये के लोन से लॉन्ड्री बिजनेस शुरू कर अब दूसरों को रोजगार दे रहे हैं।
दमोह: सफलता की राह हमेशा सीधी और आसान नहीं होती, यह कहानी है मध्य प्रदेश के दमोह जिले के बांसा तारखेडा गांव के रहने वाले सुधीर गर्ग की। वह जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करते रहें, लेकिन कभी हार नहीं मानी। पहले यूपीएससी की तैयारी करते थे, सफलता नहीं मिली तो आज खुद का बिजनेस खड़ा कर दूसरों को रोजगार दे रहे हैं। उनकी कहानी बताती है कि अगर आप एक लक्ष्य हासिल करने में फेल होते हैं तो निराश होने की बजाय नए रास्ते खोजने चाहिए।
दिल्ली में करते थे यूपीएससी की तैयारी
सुधीर गर्ग की शुरूआती पढ़ाई दमोह में हुई। पढ़ाई में हमेशा से होशियार सुधीर ने आगे चलकर यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख किया। उनका केवल एक ही मकसद था, सिविल सर्विसेज में सेलेक्शन पाना। लेकिन, कई प्रयासों के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली। जब यूपीएससी में सफल होने की उम्मीदें टूट गईं, तो सुधीर ने चंडीगढ़ जाने का निर्णय लिया। वहां उन्होंने एक फाइव स्टार होटल में काम करना शुरू किया। यह उनके लिए बिल्कुल नया अनुभव था, लेकिन उन्होंने अपने काम में पूरी मेहनत की। हालांकि, यह सफर भी ज्यादा लंबा नहीं चला।
कोविड-19 में चली गई नौकरी, गांव में बच्चों को फ्री ट्यूशन
2020 में जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही थी, तभी सुधीर की नौकरी भी चली गई। इस कठिन समय में उन्होंने अपने गांव लौटने का निर्णय लिया। उनके दादा-दादी कैंसर से पीड़ित थे और उन्हें देखभाल की जरूरत थी। सुधीर ने न केवल उनकी देखभाल की, बल्कि गांव के बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन भी देने लगे। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि अपने गांव में रहकर भी वह कुछ बड़ा कर सकते हैं।
10 लाख रुपये लोन कर शुरू की लॉन्ड्री की दुकान
लंबे समय तक बेरोजगारी से जूझने के बाद सुधीर ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत स्वरोजगार के लिए सेंट्रल बैंक में आवेदन किया। कुछ ही महीनों में उन्हें 10 लाख रुपये का लोन मिल गया। इस लोन से उन्होंने एक बड़ी इलेक्ट्रॉनिक वाशिंग मशीन और प्रेस खरीदी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉन्ड्री की दुकान शुरू की, जो अब 7 महीने से सक्सेसफुली चल रही है। दो लोगों को रोजगार भी दे रखा है।
व्हाट्सएप सर्विस से बढ़े कस्टमर
सुधीर ने अपने लॉन्ड्री व्यवसाय की शुरुआत एक छोटे से कमरे में की। बड़ी वाशिंग मशीन में कपड़े धोना, फिर उन्हें आयरन करना और पैकिंग करना, यह सब उन्होंने खुद ही सीखा। शुरू-शुरू में उन्हें दिक्कत हुई। लेकिन धीरे-धीरे उनका काम बढ़ने लगा। बिजनेस में आधुनिक तकनीकों का भी यूज किया। एक व्हाट्सएप सेवा शुरू की, जिसके माध्यम से ग्राहक अपनी लोकेशन भेज सकते हैं और सुधीर की टीम उनके घर से ही कपड़े कलेक्ट कर लेती है। यह सेवा लोगों को बहुत पसंद आई और इससे कस्टमर्स की संख्या भी बढ़ी।
क्या है मंथली इनकम?
आज सुधीर अपने लॉन्ड्री व्यवसाय से हर महीने लगभग 50 से 60 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं। इसमें से 20 से 25 हजार रुपये की किस्त बैंक को जाती है। शेष राशि से वह अपने घर का खर्च और अन्य जरूरतें पूरी कर रहे हैं। यह उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है, क्योंकि उन्होंने इतनी कठिनाइयों के बाद इस मुकाम को हासिल किया है।
Last Updated Sep 20, 2024, 10:55 AM IST