UPSC Success Story: केरल की फाबी रशीद ने पैनिक अटैक से जूझते हुए यूपीएससी 2023 के पहले प्रयास में 71वीं रैंक हासिल की। जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी।
UPSC Success Story: केरल की रहने वाली फाबी रशीद ने ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। चिंता और घबराहट की वजह से पूरे साल पैनिक अटैक से जूझती रहीं। पर हिम्मत ऐसी कि कदम पीछे नहीं हटाए। यूपीएससी 2023 के पहले अटेम्पट में ही 71वीं रैंक हासिल की। आप भी जानना चाहते होंगे कि पैनिक अटैक झेलते हुए कोई यूपीएससी में सक्सेस कैसे हो सकता है? आइए इस बारे में जानते हैं।
12वीं में राज्य की थर्ड टॉपर, मां-पिता डॉक्टर
केरल के अलपुझा में जन्मी फाबी रशीद के पैरेंट्स सरकारी सेवा में थे। उनकी मां बाल रोग विशेषज्ञ और पिता ने आयुर्वेद विशेषज्ञ के रूप में काम किया। हालांकि अब उनके माता—पिता सरकारी सेवा से रिटायर हो चुके हैं। फाबी की 12वीं तक की पढ़ाई त्रिवेंद्रम के सर्वोदय स्कूल से हुई। 10वीं में 96.7% अंक मिले थे। 12वीं में 97.6% मार्क्स हासिल कर राज्य की थर्ड टॉपर बनीं। फिर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन रिसर्च से बायोलॉजिकल साइंसेस से पढ़ाई की। बीएस एमएस किया।
ग्रेजुएशन के बाद शुरू कर दी यूपीएससी की तैयारी
पढ़ाई के दौरान ही फाबी को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से INSPIRE फेलोशिप मिली। साल 2022 में ग्रेजुएशन किया और फिर यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं। तिरुवनंतपुरम के एक इंस्टीट्यूट का सहारा लिया। एग्जाम के सिलेबस, पैटर्न और बेसिक्स समझे। पूरे एक साल खुद को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में झोंक दिया। यूपीएससी 2023 के पहले अटेम्पट में ही 71वीं रैंक हासिल कर सबको चौंका दिया।
स्ट्रेस की वजह से पैनिक अटैक
वह कहती हैं कि उन्हें तैयारी के दौरान पैसे से जुड़े किसी स्ट्रगल का सामना नहीं करना पड़ा। पर उनका सफर इतना आसान भी नहीं था। यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के दौरान तनाव सामान्य बात मानी जाती है। पर फाबी ने यूपीएससी में पहले ही अटेम्पट में सक्सेस होने के लिए खुद पर अतिरिक्त दबाव बनाया था। नतीजतन, चिंता और घबराहट जैसे साइड इफेक्ट झेलें। स्ट्रेस का लेबल इतना बढ़ गया कि उन्हें पैनिक अटैक आने लगें। उसकी बड़ी वजह कम नींद लेना भी थी। लैपटॉप के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से आंखों पर भी प्रभाव पड़ा।
सिविल सर्विस ज्वाइन करने की कैसे मिली प्रेरणा?
फाबी रशीद को महज 14 साल की उम्र में ही सिविल सर्विस के बारे में जानकारी हो गई थी। स्कूल और कॉलेज में लीडरशिप रोल्स मिला तो समझ डेवलप हुई। चींजों को बेहतर बनाने से उन्हें संतुष्टि मिली और इसी वजह से उनका सिविल सर्विस की तरफ अट्रैक्शन बढ़ा। कम उम्र में ही फाबी ने कॅरियर के रूप में सिविल सर्विस ज्वाइन करने का निर्णय लिया था।
Last Updated Jul 23, 2024, 11:49 PM IST