इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 यानी दिव्यास्त्र बनाने में डीआरडीओ की महिला साइंटिस्ट शीना रानी ने अहम रोल निभाया। साल 1998 में पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद डीआरडीओ में एंट्री की और 1999 से अग्नि सीरिज प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं।
हैदराबाद। देश की पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 (Agni-5 Missile) का 11 मार्च को सफल टेस्ट हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे 'मिशन दिव्यास्त्र' कहा। उसकी वजह भी बहुत क्लियर है। 5000 किलोमीटर से ज्यादा रेंज वाली मिसाइल की जद में चीन और पाकिस्तान के अलावा यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से आएंगे। रक्षा क्षेत्र में यह भारत की एक लंबी छलांग है। इसकी खासियत है कि एक साथ कई लक्ष्यों पर लॉन्च किया जा सकता है। DRDO के इस मिशन की सफलता में महिला साइंटिस्ट शीना रानी (Sheena Rani) ने अहम किरदार निभाया है। आइए जानते हैं उनके बारे में।
1999 से प्रोजेक्ट पर कर रही काम
दरअसल, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की वैज्ञानिक शीना रानी, इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 प्रोजेक्ट को लीड कर रही थीं। वह साल 1999 से मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी वाली अग्नि-5 मिसाइल पर काम कर रही थीं। यह सफलता उनके लिए गर्व का पल है। हालांकि वह खुद को भारत की रक्षा क्षेत्र में मदद करने वाली DRDO का मेंबर बताती हैं।
'अग्नि पुत्री' की राह पर शीना रानी
वैसे अग्नि सीरिज की मिसाइलों के विकास में महिला साइंटिस्ट टेसी थॉमस का अहम योगदान है। उन्हें 'अग्नि पुत्री', 'मिसाइल वुमेन' भी कहा जाता है। यह वही महिला साइंटिस्ट हैं, जिनके नेतृत्व में साल 2012 में अग्नि मिसाइल का सफल टेस्ट किया गया था। पिछले साल तक प्रोजेक्ट को लीड कर रही थीं। अब शीना रानी देश की उसी मशहूर मिसाइल टेक्नोलॉजिस्ट की राह पर चल पड़ी हैं।
तिरुवनंतपुरम से इंजीनियरिंग, 1998 में DRDO
शीना रानी के त्रिवेंद्रम स्थित घर से विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ज्यादा दूर नहीं था। ऐसे में वहां के कामों के बारे में भी अक्सर जानकारी होती थी। जैसे-केंद्र में होने वाले प्रक्षेपण। यह देखकर उनका इंटरेस्ट इस क्षेत्र में बढ़ा। तिरुवनंतरपुरम के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की। इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग की डिग्री ली। कम्प्यूटर सांइस में भी महारत हासिल की। फिर करीबन 8 साल तक रॉकेटरी लैब विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) में काम करने का मौका मिला। DRDO में उन्हें लैटरल एंट्री मिली। यह मौका उन्हें साल 1998 में पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद मिला और फिर साल 1999 से अग्नि सीरिज प्रोजेक्ट के लिए काम कर रही हैं।
'मिसाइल मैन' से इंस्पायर्ड
शीना रानी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से इंस्पायर्ड हैं। 'मिसाइल मैन' कलाम ने भी अपना कॅरियर विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से शुरु किया था। वह DRDO का नेतृत्व कर चुके हैं। ठीक उसी तरह शीना रानी भी अपना कॅरियर VSSC से शुरु कर डीआरडीओ पहुंची और अब अग्नि-5 मिसाइल प्रोजेक्ट को लीड कर रही हैं। हालांकि मिसाइल टेक्नोलॉजिस्ट डॉ. अविनाश चंदर से भी प्रभावित हैं।
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Last Updated Mar 15, 2024, 10:28 PM IST