कई महिला पत्रकारों की तरफ से यौन शोषण के आरोप लगाए जाने के बाद विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल के बाद अकबर ने अपना पद छोड़ दिया। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, 'मैंने अपनी निजी क्षमता में न्याय के लिए कानून का दरवाजा खटखटाया है। मेरे लिए यह सही होगा कि मैं इस्तीफा देकर मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों को चुनौती दूं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे देश की सेवा करने का अवसर दिया।' सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एमजे अकबर से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अकबर को पीएम मोदी की इच्छा के बारे में बता दिया था। हालांकि दोनों ने इसे सामान्य मुलाकात बताया था। लेकिन अकबर के इस्तीफा देने के बाद साफ हो गया है कि पीएम ने डोभाल के जरिये अकबर तक अपना संदेश पहुंचा दिया था। 

अकबर मध्य प्रदेश से ही राज्यसभा के लिए चुने गए थे। राज्य में हो रहे विधानसभा चुनावों से पहले विरोधी दलों की ओर से इस मुद्दे को सोशल मीडिया के जरिये काफी उछाला जा रहा था। पार्टी को भी अकबर का बचाव करने में असहजता महसूस हो रही थी। उधर, सूत्रों की मानें तो संघ की ओर से भी पार्टी को संदेश पहुंचाया गया था कि अकबर पर लगाए जा रहे आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह गलत परंपरा की शुरुआत मानी जाएगी। 

अकबर के खिलाफ सबसे पहले पत्रकार प्रिया रमानी ने आरोप लगाए थे। अकबर के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने ट्वीट किया, 'एक महिला होने के नाते मैं इसे सही मानती हूं। मुझे उस दिन का इंतजार है, जब अदालत से भी मुझे न्याय मिलेगा।'

इससे पहले, #MeToo अभियान के तहत विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के साथ में काम कर चुकीं 19 महिला पत्रकार उनके समर्थन में आगे आईं थीं। इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही और अदालत से आग्रह किया कि अकबर के खिलाफ उन्हें भी सुना जाए। इन महिलाओं ने दावा किया कि उनमें से कुछ का अकबर ने यौन उत्पीड़न किया तथा अन्य इसकी गवाह हैं।

उन्होंने संयुक्त बयान में कहा, ‘रमानी अपनी लड़ाई में अकेली नहीं है। हम मानहानि के मामले में सुनवाई कर रही माननीय अदालत से आग्रह करते हैं कि याचिकाकर्ता के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर तथा अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं की गवाही पर विचार किया जाए जो इस उत्पीड़न की गवाह थीं।’ 

बयान पर दस्तखत करने वालों में मीनल बघेल, मनीषा पांडेय, तुषिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु हौजेल, आयशा खान, कुशलरानी गुलाब, कनीजा गजारी, मालविका बनर्जी, ए टी जयंती, हामिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा, रेशमी चक्रवाती, किरण मनराल और संजरी चटर्जी शामिल हैं। पत्रकार क्रिस्टीना फ्रांसिस ने भी इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।

अकबर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए सोमवार को रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी। वकील के माध्यम से दायर शिकायत में अकबर ने रमानी पर ‘जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से’ उनकी मानहानि करने का आरोप लगाया था और इसके लिए पत्रकार के खिलाफ मानहानि से जुड़ी आईपीसी की धारा के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की। अकबर ने कोर्ट में उनका केस लड़ने के लिए एक 97 वकीलों वाली एक प्रख्यात लॉ फर्म को नियुक्त किया है।