सेना देश की सरहद पर दुश्मन और आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई पूरी तत्परता से लड़ रही है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सेना की शाखाओं में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को लेकर बेहत कड़ा रुख अपनाया है। सेना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ नई जंग छेड़ दी है। इस कड़ी में सेना के कांट्रैक्टों में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता लाने और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए 'मिशन कोबरा' शुरू किया गया है। 

इस संबंध में सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी मेजर जनरल राजीव चौधरी ने अपनी कमान के तहत आने वाली सेना की सभी शाखाओं को एक पत्र लिखा है। मेजर जनरल चौधरी सेना की दक्षिण कमान में चीफ इंजीनियर के तौर पर तैनात हैं।

पत्र में उन्होंने लिखा है, 'मैं सेना प्रमुख के सेना की सभी शाखाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार का खात्मा करने के निर्देशानुसार यह पत्र लिख रहा हूं। यह उन भ्रष्ट प्रथाओं को खत्म करने के लिए है, जिनमें कुछ लोग अपनी रैंक की संरचना के बावजूद कांट्रैक्ट के प्रबंधन एवं निगरानी में लिप्त रहते हैं।'

पत्र में कहा गया है, 'दक्षिण कमान में चीफ इंजीनियर के तौर पर पदभार संभालने के बाद पहले ही दिन से मेरी कोशिश पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचर को बिल्कुल बर्दाश्त न करने की रही है। मिशन कोबरा हमेशा मेरे कामकाज का मुख्य क्षेत्र बना रहेगा।'

अधिकारी ने अपने मातहत सैन्य अफसरों से कहा है कि 'सेनाप्रमुख के निर्देशों को पूरी गंभीरता से लिया जाए और अपने तहत ऐसे मामलों के सामने उन पर तत्परता से कार्रवाई की जाए।'

दरअसल, बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने अपने सैन्य कमांडरों को स्पष्ट कर दिया है कि नैतिक कदाचार और भ्रष्टाचार के मामले बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किए जाएं। ऐसे मामलों से पूरी कड़ाई से निपटा जाए। 

सूत्रों ने कहा कि नैतिक कदाचार के मामलों को लेकर सेना प्रमुख का मानना है कि अगर कोई संबंध सहमति से भी बने हों, तब भी उनकी अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि सेना के एक बड़े परिवार की तरह है और इस तरह के मामलों में ढिलाई बरतने से नैतिक ढांचा प्रभावित होता है।