लॉकडाउन लागू होने के बाद सड़क दुर्घटना में 196 प्रवासी कामगारों (33%) की मौत हो गई है। एक संस्था द्वारा कराए गए एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। इस दौरान देश भर में कुल 1,346 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं जिनमें कुल 601 लोगों ने अपनी जान गंवाई जबकि दो महीने के दौरान 1,161 लोग घायल हुए।
नई दिल्ली। लॉक़डाउन के बावजूद देश में सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। हालांकि इस बार इन दुर्घटनाओं में मारने जाने वाले प्रवासी हैं। जो कोरोना लॉकडाउन में पैदल या वाहनों से अपने घरों की तरफ आ रहे थे और सड़क दुर्घटनाओं में इन प्रवासियों की मौत हुई। जानकारी के मुताबिक सड़क दुर्घटनाएं में अभी तक 196 लोगों की मौत हुई है वहीं 866 लोग दुर्घटना में घायल हुए हैं।
लॉकडाउन लागू होने के बाद सड़क दुर्घटना में 196 प्रवासी कामगारों (33%) की मौत हो गई है। एक संस्था द्वारा कराए गए एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। इस दौरान देश भर में कुल 1,346 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं जिनमें कुल 601 लोगों ने अपनी जान गंवाई जबकि दो महीने के दौरान 1,161 लोग घायल हुए। इसमें 196 प्रवासी मजदूर थे। सर्वे में कहा गया कि तालाबंदी के बावजूद हमारी सड़कें कितनी खतरनाक हैं। संस्था का कहना है कि दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए हमें तेज गति से वाहन चलाने पर रोक लगाना चाहिए।
प्रवासी श्रमिकों के अलावा इस अवधि के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में 35 अतिरिक्त श्रमिकों की जान चली गई। गौरतलब है कि पिछले दिनों एक के बाद एक कई दुर्घटनाएं सामने आई और इसमें प्रवासियों मजदूरों की मौत हुई। उत्तर प्रदेश हो या फिर मध्य प्रदेश या महाराष्ट्र सभी राज्यों में इस तरह की दुर्घटनाएं देखने को मिली। कहीं पर आपस में गाड़ियां टकराई तो कहीं पर वाहनों ने पैदल जा रहे लोगों को कूचला। वहीं प्रवासियों की दुर्घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने फैसला किया कि प्रवासियों को उनके प्रदेशों तक राज्य सरकारें बसों के जरिेए छोड़ेगी। हालांकि कई राज्यों सरकार ने प्रवासियों को लाने के लिए ट्रेनों का प्रबंध किया था। लेकिन ट्रेनों की जानकारी नहीं होने के कारण ्प्रवासी पैदल ही अपने गंतव्य को चल पड़े। उत्तर प्रदेश के औरैया, मध्य प्रदेश के गुना समेत कई जिलों में बड़ी दुर्घटनाएं हुई।
Last Updated May 26, 2020, 1:06 PM IST