कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने करीबियों से दावा करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कुछ चुनावों में हार से वह विचलित नहीं होते। राहुल का मानना है कि समय का पहिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं बल्कि उनके पक्ष में है। राहुल का यह आत्मविश्वास सच्चाई से दूर भी हो सकता है।

राहुल की राजनीतिक पूंजी तेजी से विघटित हो रही है। विरासत में मिली उनकी राजनीतिक समझ और वास्तविकता में बदलाव हो चुका है और आने वाले दिनों में यह इस कदर बदल जाएगा कि देश की राजनीति राहुल की समझ से परे होगी।  कई वर्षों के बाद भी शायद लोगों को याद रहे कि 23 मई को भारत को एक नई दिशा मिली और परिवारवाद की राजनीति कर रहे राहुल का सत्ता से फासला और बढ़ गया।

दौड़ने लगेगी स्वच्छ अर्थव्यवस्था

अब जब जीएसटी लागू किए जानें की शुरुआती दिक्कतें खत्म हो चुकी हैं और बैंकरप्सी कोड जैसे अहम आर्थिक सुधार अपनी जगह पर हैं, नई सरकार लघु और मध्यम क्षेत्र की कंपनियों, बैंकिंग, कृषि जैसे अहम क्षेत्रों में आर्थिक सुधार की शुरुआत करेगी। इन सुधारों के सकारात्मक असर से अगले 5 साल के दौरान 8 फीसदी की विकास दर के स्तर पर पहुंच सकती है। इसके साथ ही उज्जवला, आयुष्मान भारत और पीएम आवास योजना बड़ी संख्या में गरीबी रेखा के नीचे लोगों को ऊपर ले आएंगी और ऐसी स्थिति में 2024 तक पीएम मोदी को चुनाव में हराना आसान नहीं होगा।

पुख्ता होगा हिंदुत्व

देश पर सदियों तक हुए आक्रमण, गुलामी और फिर आजादी के बाद नेहरू के समाजवाद से उबरते हुए अब हिंदुओं ने अपने स्वाभिमान के रास्ते पर चलने का फैसला कर लिया है। आने वाले दिनों में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35 ए और 370 हटाने, समान नागरिक कानून, मंदिरों के संचालन में सरकार के हस्तक्षेप को खत्म करने और शिक्षा के अधिकार से हिंदुओं का भरोसा प्रधानमंत्री मोदी में पुख्ता हो जाएगा। 

दोनों सदनों में मोदी को बहुमत

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान राज्यसभा से अड़चने पैदा होती रहीं क्योंकि यहां विपक्ष की संख्या भारी थी। भूमि सुधार से लेकर तीन तलाक तक कानून बनाने की प्रक्रिया को बाधित करने का काम किया गया। अब जब भारी बहुमत के साथ मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हो रहा है और एक साल के अंदर राज्य सभा में भी बीजेपी का बहुमत होगा

तब सरकार के लिए काम करना आसान हो जाएगा। खासबात है कि मोदी सरकार लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत से महज 10 सीट दूर है। इस दूरी को चुनाव बाद गठबंधन के जरिए जगन रेड्डी, के चंद्रशेखर राव या नवीन पटनायक के साथ मिलकर किसी भी समय खत्म की जा सकती है। इससे पीएम मोदी को अपने दूसरे कार्यकाल में कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान करने में मदद मिलेगी।

संगठन का विस्तार

पांच साल तक और सत्ता में रहने से बीजेपी और आरएसएस के लिए देश के बचे हुए हिस्सों में अपनी जड़ें जमाना आसान हो जाएगा। खासतौर पर इन पांच साल के दौरान दक्षिण भारत सबसे प्राथमिकता है। बीजेपी ने बंगाल, ओडिशा और पूर्वोत्तर में अपनी साख स्थापित कर ली है। ऐसी स्थिति में अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2024 के चुनावों में वह लोकसभा में 400 से अधिक सीटों का लक्ष्य रख सकती है।

जेल में नहीं तो विदेश में होंगे राहुल गांधी

दोनों राहुल और सोनिया गांधी नैशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर हैं। वहीं जमीन हड़पने के मामले में रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी कभी भी की जा सकती है। कई विपक्षी नेता जैसे ममता और मायावती चिटफंड से लेकर अन्य घोटालों में हो रही जांच के दायरे में हैं। ऐसे में 2024 तक विपक्ष के पास साफ सुथरी छवि वाला कोई चेहरा नहीं रहेगा जो पीएम मोदी का सामना कर सके। लिहाजा, साफ है कि विपक्ष में बैठे राहुल गांधी को 2024 में पीएम मोदी को चुनौती देना इतना आसान नहीं होगा।