जम्मू-कश्मीर पुलिस ने छन्नी हिम्मत इलाके में अवैध रूप से रह रहे तीन रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया है। इनमें दो महिलाएं हैं। उनके पास से 30 लाख रुपये बरामद हुए हैं। इनकी पहचान शाकर कमाल, अनवारा बेगम और आशिया के रूप में हुई है। ये तीनों इस समय सुंजवां व करेनी तालाब (नरवाल) में रह रहे हैं। 

इस्माइल और नूर आलम नाम के दो रोहिंग्या मौके से फरार होने में कामयाब रहे। पुलिस को संदेह है कि यह राशि रोहिंग्‍याओं को आतंकी संगठनों से मिली हो सकती है। ताकि उनका प्रयोग ओवर ग्राउंड वर्कस के तौर पर किया जा सके।

तीन रोहिंग्याओं की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए एसएसपी विवेक गुप्ता ने 'माय नेशन' को बताया, रोहिंग्‍याओं से बरामद नकदी के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। छन्नी हिम्मत पुलिस को पुख्ता सूचना मिली थी कि सुंजवां इलाके में रहने वाले रोहिंग्या परिवार के पास लाखों की नकदी है। हालांकि अभी इस मामले के सरगना की तलाश की जा रही है।

एसएसपी ने 'माय नेशन' से कहा, 'हम इतनी बड़ी मात्रा में  बरामद हुए कैश का स्रोत तलाश रहे हैं। हम कई बिंदुओं पर जांच कर रहे हैं। इनमें चोरी, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकी घटनाएं शामिल हैं।' एसएसपी गुप्ता के अनुसार, 'हम हर कोण से मामले की जांच कर रहे हैं। जांच के शुरुआती दौर में किसी भी बिंदु को खारिज नहीं किया जा सकता।'

सैन्य छावनी के आसपास रहते हैं रोहिंग्या

नरवाल तथा सुंजवां इलाके में सैन्य छावनी है। कुछ महीने पहले सुंजवां सैन्य शिविर पर आतंकी हमला हुआ था। जांच में आतंकियों के रोहिंग्याओं की अवैध बस्ती में छिपने की बात सामने आई थी। अब रोहिंग्‍याओं बस्ती से भारी मात्रा में कैश बरामद होने से इन लोगों के आतंकियों के मददगार होने की आशंका पुख्ता हो रही है। इसके अलावा, जम्मू में कई रोहिंग्याओं के खिलाफ मादक पदार्थों की तस्करी के मामले दर्ज किए गए हैं। 

जम्मू में रह रहे 20 हजार से ज्यादा रोहिंग्या 

आधिकारिक अनुमान है कि जम्मू में 20,000 से ज्यादा रोहिंग्या रह रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में भाजपा सांसद जुगल किशोर ने संसद में दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर में 18,000 से 30,000 के बीच रोहिंग्या रह रहे हैं। जुगल ने इसे देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा था कि 'मेरे पास इस बात के मजबूत साक्ष्य हैं कि रोहिंग्या आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। सेना के सुजवां कैंप पर हमला करने वाले आतंकी अवैध रोहिग्याओं के घरों के रास्ते ही अंदर घुसे थे।'

मानव तस्करी रैकेट भी चला रहे रोहिंग्या

इस साल की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जम्मू में एक बड़े मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया था। नूर गुल अमीन नाम का एक रोहिंग्या म्यांमार से नाबालिग लड़कियों को लाकर जम्मू में बेचता था। तीन लड़कियों को पुलिस ने बचाया भी था। नूर गुल अमीन ने पुलिस को बताया है कि वह इन लड़कियों को काम दिलाने के लिए म्यांमार से भारत लाया था। इसके बाद उसने लड़कियों को देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा। उसने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा, 'जम्मू को एक ट्रांजिट कैंप के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह रोहिंग्याओं के लिए मानव तस्करी का एक बड़ा बाजार बन गया है।' नूर ने पुलिस को बताया, म्यांमार से नाबालिग लड़कियों को पहले नई दिल्ली लाया जाता है और फिर जम्मू भेजा जाता है। इन लड़कियों को 40,000 से 50,000 रुपये में बेचा जाता है।