आमतौर पर यह माना जाता है कि सर्दियों के मौसम में सैलानी या तो गोवा का रुख कर लेते हैं, या बर्फबारी का नजारा देखने के लिए पहाड़ों की ओर चले जाते हैं। लेकिन इन दिनों एक नया पर्यटन स्थल लोगों की उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है। यह ताजमहल या उदयपुर नहीं बल्कि गुजरात में बनी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। 

गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित 182 मीटर ऊंची विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टैच्यू आफ यूनिटी’ अब देश के शीर्ष पर्यटक स्थलों में से एक बनती जा रही है। उसे देखने के लिए प्रतिदिन करीब 30 हजार लोग पहुंच रहे हैं। 

गुजरात के मुख्य सचिव जे एन सिंह और राज्य के प्रधान सचिव (पर्यटन) एस जे हैदर के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से वहां प्रतिदिन 30 हजार पर्यटक आ रहे हैं। विश्व की सबसे ऊंची यह मूर्ति केवडिया में सरदार सरोवर बांध के किनारे स्थित है। इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर को किया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक महीने में 2.79 लाख लोग स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने के लिए पहुंचे। इसके लिए बेचे गए टिकट से 6.38 करोड़ रुपये की कमाई हुई। 

अमेरिका के महा-वाणिज्यदूत एडगार्ड कागन सोमवार को स्मारक देखने पहुंचे। उन्होंने 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का पूरा अवलोकन किया। कागन ने अपने दौरे के बाद कहा, मूर्ति में बनी गैलेरी से बाहर का नजारा देखना सांसे थाम देने वाला अनुभव है। यह आपको सरदार सरोवर बांध और विध्य एंव सतपुड़ा की पर्वत श्रंखला का विहंगम नजारा दिखा है। उन्होंने कहा, ‘यह मूर्ति बहुत प्रभावशाली है और मुझे इसके निर्माण का उद्देश्य जान कर बहुत खुशी हुई।’

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इस मूर्ति का निर्माण भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया है। भारत की आजादी के बाद देश की 562 रियासतों को एक करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा के बनने की नींव पांच साल पहले ही रख दी गई थी। करीब 3 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनी इस स्मारक की आधारशिला 31 अक्टूबर, 2013 को पटेल की 138वीं वर्षगांठ के मौके पर रखी गई थी। तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस प्रतिमा के लिए भाजपा ने पूरे देश में लोहा इकट्ठा करने का अभियान भी चलाया था। ये विशालकाय प्रतिमा लाखों टन लोहे और तांबे को मिलाकर बनाई गई है। इस मूर्ति की खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए लोहा भारत के किसानों से खेती के बेकार हो चुके औजारों को लेकर इकठ्ठा किया गया।इस प्रतिमा के लिए 'सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट' भी बनाया गया।