राम मंदिर पर सुनवाई के लिए 5 जजों की बेंच का गठन कर दिया गया है। इस संवैधानिक बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगई, जस्टिस एसए बोड़े, एनवी रमन्ना, यूयू ललित और डीवाई चन्द्रचूड़ हैं। 

बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस खुद करेंगे। इस मामले में 10 जनवरी से लगातार सुनवाई शुरू हो जाएगी। 

संवैधानिक पीठ जिस दिन बैठती है उस दिन उस कोर्ट में अन्य मामले लिस्ट नहीं होते हैं और बेंच पूरा दिन एक ही मामला सुनती है। 

संवैधानिक पीठ मामले का निपटारा होने तक रोज़ाना बैठती है, और मामले को लगातार सुनकर निपटाती है , यह सुनवाई Non Miscellaneous Days यानि मंगलवार, बुधवार व गुरूवार को लगातार होगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने 4 जनवरी को कहा था कि आगे की सुनवाई के लिए आठ जनवरी को बेंच गठित कर दी जाएगी। 

जिसके बाद आज पांच जजों की बेंच गठित कर दी गई। जो कि राम मंदिर मामले में जल्दी फैसला देने के लिए लगातार सुनवाई करेगी।
 
साल 2018 के अक्टूबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी से राम मंदिर मामले की लगातार सुनवाई की बात कही थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मालिकाना हक विवाद की सुनवाई को 2019 जनवरी तक के लिए टाल दिया था। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.67 अकड़ ज़मीन को तीन हिस्सों में बांट दिया था। जिसमें एक हिस्सा राम लला विराजमान, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया। 

तीनों ही पक्षों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस मामले में 533 एक्जीबिट, 87 गवाह जिन के बयान 14000 पन्नों में हैं और हजारों दस्तावेज हैं जो संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी, हिंदी और अंग्रेज़ी में हैं। इन सब को पढ़ने में ही काफी समय लग सकता है। 
अयोध्या में 06 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिरा दिया गया था।