12 नवंबर को छत्तीसगढ़ में जिन 18 सीटों पर मतदान होना है, वे सभी नक्सलियों के प्रभाव वाली हैं। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों के हथियार डालने को काफी अहम माना जा रहा है।

रायपुर से संदीप प्रधान की रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। मंगलवार को दक्षिण छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में 62 नक्‍सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। इन नक्सलियों ने 51 देसी बंदूकें भी पुलिस को सौंपी हैं। सभी नक्‍सलियों ने बस्‍तर के आईजी विवेकानंद सिन्‍हा और नारायणपुर के एसपी जितेंद्र शुक्‍ला के सामने आत्‍मसमर्पण किया।

इस दौरान एक नक्सली ने कहा कि हमने अपनी जिंदगी का बड़ा समय बर्बाद कर दिया है। अब हम सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। एसपी की ओर से हमें हरसंभव मदद का भरोसा दिया गया है। इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों के हथियार डालने को चुनाव से पहले काफी अहम माना जा रहा है। 

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30 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में दो जवान और एक मीडियाकर्मी शहीद हो गए थे। दंतेवाड़ा के अरनपुर में नक्सलियों ने विधानसभा चुनाव से संबंधित कवरेज के लिए जा रहे दल पर घात लगाकर हमला किया था। इससे पहले, बीजापुर में नक्सलियों ने हमले में चार जवान शहीद हो गए थे। इससे पहले 27 अक्टूबर को नक्सलियों ने बीजापुर में सीआरपीएफ के जवानों को निशाना बनाया था। इस हमले में 4 जवान शहीद हुए थे। ये सभी गश्त पर थे, तभी नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया था।

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इस अवसर पर बस्तर रेंज के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने कहा, 'राज्य सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सलियों ने हथियार डाले हैं। पुलिस को दिए अपने बयान में इन सभी ने संगठन में भेदभाव होने की बात कही। साथ ही सरकार की पुनर्वास नीति को सरेंडर की बड़ी वजह बताया।'

पुलिस सूत्रों के अनुसार, सरेंडर करने वाले नक्सली पूर्व में आईईडी धमाकों, विकास कार्यों के बहिष्कार के लिए पर्चे बांटने में लिप्त रहे हैं। पुलिस के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में कॉडर के हथियार डालने से दूसरे नक्सली भी इसके लिए प्रेरित होंगे। 

छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में 18 सीटों पर 12 नवंबर को वोटिंग होगी जबकि दूसरे चरण में 78 सीटों पर वोटिंग 20 नवंबर को होगी। 12 नवंबर को छत्तीसगढ़ में जिन 18 सीटों पर मतदान होना है, ये वही सीटें हैं जहां नक्सलियों का प्रभाव है। यही कारण है कि इन इलाकों में सुरक्षा को काफी पुख्ता किया गया है। इसके बावजूद नक्सली अपनी करतूत से बाज नहीं आ रहे हैं।