जैसे-जैसे दिल्ली में चुनावों की तारिख नज़दीक आती जा रही है आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं| पहले कांग्रेस के साथ गंठबंधन को लेकर आये दिन रूठना-मानना चलता रहा और अब जब ये बात साफ़ हो गई है की दोनों ही पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी तो इसी बीच अरविन्द केजरीवाल का अपनी ही पार्टी के विधायकों के साथ हाथा-पाई की खबर आई है।

आप की चांदनी चौक विधानसभा सीट से विधायक अलका लम्बा ने अपनी नाराजगी जताते हुए ये कहा है की वो अपनी पार्टी के लिए लोकसभा चुनावों में प्रचार नहीं करेंगी और साथ ही साथ उन्होंने अरविन्द केजरीवाल को विधायकों का सम्मान करने की नसीहत दी है।

उन्होंने केजरीवाल की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा की वो पार्टी विधायकों के साथ मीटिंग में उन्हें शामिल नहीं करते क्योंकि वो एक महिला हैं और वो चाहती हैं की अरविन्द केजरीवाल पार्टी में सभी को सामान रूप से सम्मान और महत्व दें|

अलका लम्बा ने कहा की मैं अपने विधान सभा क्षेत्र में हर रोज दौरा कर रही हूँ और साथ ही साथ लोगों से 12 मई को भरी मात्रा में वोट डालकर अपने लोकतांत्रिक कर्त्तव्य को पूरा करने के लिए निवेदन रही हूँ लेकिन मैं अपनी पार्टी के लिए वोट डालने का प्रचार नहीं कर रही|

उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा की पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें काफी समय से नज़रअंदाज़ कर रहे हैं उनके बार-बार समय मांगे पर भी उन्हें मिलना का समय नहीं दिया गया और इसीलिए अब वो पार्टी के झंडे के साथ कोई प्रचार नहीं करेंगी।

अलका लम्बा का अपनी पार्टी के साथ मन मुटाव पिछले साल दिसंबर से चल रहा है जब पार्टी ने उनसे तब स्तीफे की मांग की थी जब उन्होंने दिल्ली विधान सभा में स्वर्गीय राजीव गाँधी से 1984 के दंगो के चलते भारत रत्न वापिस लेने के प्रस्ताव के विपरीत मत दिया था।
 
अलका लम्बा ने पार्टी के अन्य सदस्य पर भी उनकी छवि ख़राब करने के लिए दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया है| उन्होंने पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भरद्वाज पर उनके और पार्टी के बीच दरार डालने का भी आरोप लगाया है | उन्होंने  कहा की सौरभ ने उनपर कांग्रेस पार्टी से अंदरूनी सांठ-गांठ होने का आरोप लगाया है।

अलका लम्बा ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुवात विद्यार्थी जीवन में की थी। उन्होंने कांग्रेस के लिए  20 साल तक विभिन्न स्तरों पर कार्य किया और 2014 में उन्होंने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले ली।