नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी अपने ही विधायक अदिति सिंह को लेकर ऊहापोह में है। प्रियंका गांधी का बार बार विरोध करने के बावजूद कांग्रेस अदिति सिंह के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं पा रही है।  इसे कांग्रेस की मजबूरी कहें या फिर रणनीति। लेकिन अदिति सिंह को लेकर कांग्रेस बैकफुट में है। अदिति सिंह खुलेतौर पर कांग्रेस और गांधी परिवार के खिलाफ हैं। लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस अदिति सिंह के खिलाफ कार्यवाही करने को लेकर मजबूर नजर आ रही है।


 
कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने प्रियंका गांधी वाड्रा के खिलााफ बयान देकर एक तरह से कांग्रेस को खुली चुनौती दे दी है। हालांकि अदिति सिंह ने पहली बार प्रियंका को चुनौती नहीं दी है। पिछले दिनों जब सीएए और एनआरसी का विरोध कांग्रेस महासचिव लखनऊ में कर रही थी तो यूपी सरकार ने विशेष सत्र बुलाया था।  कांग्रेस इसका विरोध कर रही थी जबकि कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने न  केवल सत्र में हिस्सा लिया बल्कि भाषण भी दिया। हालांकि उस वक्त प्रियंका गांधी और कांग्रेस अदिति सिंह के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकी।

वहीं प्रियंका गांधी के खिलाफ बयान देकर अदिति ने कांग्रेस और गांधी परिवार को खुली चुनौती दे दी है। अदिति के बागी तेवर से कांग्रेस को खासा नुकसान हो रहा है और पार्टी  समझ नहीं पा रही है कि वह किस तरह के अदिति के खिलाफ कार्यवाही करे। हालांकि कांग्रेस ने अदिति को महिला कांग्रेस की महासचिव के पद से हाट दिया है। लेकिन पार्टी अदिति सिंह के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं कर  सकी है। जिसको लेकर कांग्रेस के भीतर भी सवाल उठ रहे हैं। असल में इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण ये है कि पार्टी अदिति को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर शहीद नहीं करना चाहती है।

अगर अदिति सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया जाता है तो अदिति सिंह की सदस्यता पर कोई खतरा न होगा। वहीं अदिति सिंह आसानी से कांग्रेस के खिलाफ हो जाएगी और इसका सीधा नुकसान कांग्रेस और गांधी परिवार को होगा। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को रायबरेली में जीत मिली थी और इस जीत में अदिति के परिवार की बड़ी भूमिका रही थी और अगर कांग्रेस अदिति सिंह को बाहर कर देती है तो अगले लोकसभा चुनाव में उसकी राह मुश्किलों से भरी हो जाएगी।  जबकि अमेठी पहले ही कांग्रेस से हाथ से निकल चुका है और अगर रायबरेली में भी कांग्रेस का हाल अमेठी जैसा होता तो राज्य में इसमें इसका संदेश गलत जाएगा। जबकि राज्य में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा कांग्रेस बीच रास्ता खोज रही है।

गांधी परिवार की करीबी थी अदिति

अदिति सिंह गांधी परिवार की करीबी मानी जाती थी। अदिति के पिता दिग्गज नेता अखिलेश सिंह के गांधी परिवार के साथ अच्छे रिश्ते थे। पिछले साल लोकसभा  चुनाव में कांग्रेस गांधी परिवार के गढ़ में मुश्किल में थी और तभी अदिति के पिता ने रायबरेली में सोनिया गांधी की मदद की और कांग्रेस इस सीट को जीतने में कामयाब रही। अदिति के भी कांग्रेस नेतृत्व से भी अच्छे रिश्ते थे। लेकिन अब रिश्तों में दूरी देखने को मिल रही है।  अदिति सिंह ने गांधी परिवार से दूरी बना रखी है। जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ रहा है।  

जबकि कांग्रेस का दूसरा गढ़ कांग्रेस के हाथ से निकल गया था और राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि रायबरेली में कांग्रेस को कम वोट मिले और अगर स्थिति यही रहती है तो सोनिया गांधी और  कांग्रेस के लिए चार साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव मुश्किल होंगे। अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस के लिए राज्य में राजनीति की धुरी माना जाता है। अगर इन दोनों जिलों में कांग्रेस की राजनीति खत्म होती है तो राज्य में कांग्रेस को खुद को स्थापित करने में मुश्किल होगी।