नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी को झारखंड चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन अब सरकार बनाने जा रहा है। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह से कहां पर लगती हुई है कि दो साल में झारखंड ऐसा सातवां राज्य जो उसके हाथ से निकल गया है। झारखंड की हार भाजपा के लिए एक बड़ा सबक है क्योंकि अगले साल दिल्ली और बिहार में चुनाव होने वाले हैं और अगर भाजपा ने अपनी रणनीति नहीं बदली तो उसे इन दो राज्यों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

पिछले एक साल के दौरान महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़,राजस्थान,मध्य प्रदेश हाथ से निकल गए हैं और अब झारखंड बी भाजपा के साथ से निकल गया है। पिछले एक साल के दौरान ये चौथा राज्य है जहां उसे सत्ता से बेदखल होना पड़ा है।   हालांकि भाजपा के साथ से जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश भी फिसल गया था। जम्मू कश्मीर में भाजपा ने पीडीपी और आंध्र प्रदेश में टीडीपी के साथ के साथ गठबंधन तोड़ा और इसके बाद वह सत्ता से बाहर हो गई।

लेकिन इन सबके बाद भाजपा ने चार राज्यों में सरकार बनाई। इसमें मिजोरम, अरुणांचल प्रदेश, हरियाणा  और कर्नाटक। हालांकि भाजपा के रणनीतिकार अब इस बात को सोचने के लिए मजबूर हो गए हैं कि भाजपा को पिछले एक साल से लगातार हार मिल रही है और उसके हाथ से राज्यों की सत्ता फिसल रही है। जबकि कांग्रेस लगातार मजबूत हो रही है। असल में भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा कई राज्यों में सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने में विफल रही है और जिसके कारण वह सत्ता से बाहर हो रही है। कुछ ऐसा ही  झारखंड में देखने को मिला है। जहां पर भाजपा सहयोगी दलों के साथ गठबंधन नहीं बना सकी और उसका सभी का वोट बैंक बिखर गया।

 अगर भाजपा मिलकर चुनाव लड़ती तो आज स्थिति अलग होती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पिछले साल तक अजेय माने जा रहे थे, लेकिन पिछले एक साल दौरान भाजपा के हाथ से पांचवा राज्य फिसल गया। जबकि इन राज्यों में कांग्रेस ने सरकार बनाई है। हालांकि दो राज्यों में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के पीछे है। लेकिन फिर भी माना जा रहा है कि कांग्रेस लगातार मजबूत हो रही है। सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद ये तीसरा राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो रही है। फिलहाल भाजपा अब दिल्ली और बिहार की तैयारी में जुट गई है।