कोलकाता। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में एनआरसी को लागू करने के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य में इसे लागू किया जाता है तो राज्य के हालात खराब होंगे और बंगाल की शांति व्यवस्था होगी प्रभावित होगी। लेकिन जो फैसले देश के हित के लिए किए जा रहे हैं। उनका ममता बनर्जी विरोध क्यों कर रही है। जबकि देश के सभी राज्य घुसपैठियों को बाहर कर देश में एनआरसी लागू करने की वकालत कर रही हैं।

असल में इस कहानी के पीछे सबसे बड़ा कारण हैं वोट बैंक। पिछले सत्तर साल में बंगाल और असम में बांग्लादेश के करोड़ों घुसपैठिए भारत में आए हैं। हालांकि इन दोनों राज्य से लाखों लोग आज भी देश के अन्य हिस्सों में फैल गए हैं। लेकिन इन दोनों राज्यों में ये लोग कई सीटों पर निर्णायक हैं। पश्चिम बंगाल में ये घुसपैठिए ममता बनर्जी सरकार के समर्थक हैं। जिसके कारण ममता बनर्जी एनआरसी के खिलाफ है। असम में करीब बीस फीसदी सीटों पर बांग्लादेश घुसपैठिए सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

वहीं ऐसा ही हाल कुछ पश्चिम बंगाल है। अगर राज्य में एनआरसी लागू होता है तो राज्य से करोड़ों की तादात में लोगों को देश से बाहर करना होगा। जबकि इन लोगों ने मतदाता पहचान पत्र के साथ ही आधार कार्ड तक बना लिया है। राज्य में बाहरी लोग सरकारी नौकरी में भी आ चुके हैं। इन लोगों के देश से बाहर जाने के बाद राज्य में टीएमसी का वोटबैंक प्रभावित होगा। लिहाजा ममता बनर्जी इसके खिलाफ है।

कई बार एनआरसी को लेकर अपना विरोध जता चुकी ममता बनर्जी ने एक बार फिर कहा है कि एनआरसी लागू होने से पश्चिम बंगाल की शांति व्यवस्था प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि एनआरसी के कारण लोगों के मन में डर है और इसी कारण प्रदेश में कई लोगों की मौत भी हुई है।