नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम सीबीआई की शिकंजे में तो कर्नाटक के संकटमोचक कहे जाने वाले डीके शिवकुमार की ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अब कांग्रेस के महासचिव और असम के प्रभारी हरीश रावत सीबीआई के शिकंजे में फंसते जा रहे हैं। सीबीआई अब रावत के खिलाफ मामला दर्ज करने जा रही है। जिसके बाद रावत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में एफआईआर दर्ज करने वाली है। सीबीआई ने इस मामले में नैनीताल हाईऱ्कोर्ट के न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष यह जानकारी दी और अब इस मामले में सुनवाई 20 सितंबर को होगी।

असल में 2016 में एक निजी चैनल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक स्टिंग दिखाया था। इस स्टिंग में हरीश रावत अपनी सरकार को बचाने के लिए विधायकों से सौदेबाजी करते नजर आ रहे थे। हालांकि इसके बाद कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा में शामिल हो गए और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया था। हालांकि बाद में कोर्ट के दखल के बाद हरीश रावत सरकार बचाने में कामयाब रहे।

लेकिन ये मामला सीबीआई की नजर में आ गया। पिछले एक माह के दौरान कांग्रेस के दो दिग्गज नेता पी चिदंबरम और डीके शिवकुमार सरकारी एजेसियों के शिकंजे में फंस गए हैं। वहीं अभी हरियाणा के सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अभी सीबीआई की रडार पर हैं और उनके खिलाफ जांच चल रही है।

एक दिन पहले ही हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने हुड्डा को लेकर बयान दिया था वह जल्द ही जेल जाएंगे। वहीं अब हरीश रावत पर सीबीआई की सख्ती के कारण कांग्रेस की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। रावत को उत्तराखंड और केंद्र में कांग्रेस का बड़े नेता माना जाता है।

हरीश रावत की गांधी परिवार से नजदीकियों को इसी बात से समझा जा सकता है कि राज्य में चुनाव हारने के बाद हरीश रावत को राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त करने के साथ ही असम का प्रभारी नियुक्त किया गया था।

फिलहाल अभी राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं और अगर कांग्रेस के दिग्गज नेता को सीबीआई गिरफ्तार करती है तो इससे पार्टी को बड़ा झटका लगेगा। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव काफी अहम माने जाते हैं। हालांकि सीबीआई हरीश रावत से इस मामले में पूछताछ कर चुकी है और रावत इनमें से ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं दे पाए।।