नई दिल्ली। पड़ोसी देश चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और वह लगातार भारत के खिलाफ मोर्चा बंदी कर रहा है। पाकिस्तान और नेपाल के बाद चीन म्यांमार सीमा को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है और आतंकियों को हथियार मुहैया करा रहा है। कुछ दिनों पहले ही म्यांमार-थाइलैंड सीमा पर मेइ ताओ क्षेत्र में बड़ी मात्रा में अवैध चीनी हथियार बरामद किए गए हैं। जिसके जरिए चीन उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में भारत के खिलाफ आतंकी संगठनों को भारत के खिलाफ खड़ा करना चाहता है।

फिलहाल सीमा पर हथियार मिलने के बाद भारत सरकार की चिंता बढ़ गई हैं क्योंकि सरकार ने बड़ी कोशिशों के बाद पूर्वोत्तर के आतंकी संगठनों पर काबू पाया है और इन राज्यों में पिछले कुछ सालों के दौरान आतंकी घटनाएं कम हुई हैं। यूरोपीयन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज की एक रिपोर्ट में तबाया गया है कि चीन से हथियार म्यांमार के विद्रोही समूहों को दिए जा रहे हैं और हथियारों के मिलने के बाद आंतरिक सुरक्षा को लेकर सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। असल में इस क्षेत्र में आतंकवादी समूहों को चीन काफी अरसे से समर्थन दे रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो हथियार मिले हैं वह आटोमैटिक हैं और चीन में निर्मित हैं।

म्यांमार-थाइलैंड बॉर्डर से मिले हथियारों के चीनी लिंक होने की पुष्टि करते हुए रिपोर्ट का कहना है कि ये हथियार अराकन आर्मी के द्वारा इस्तेमाल नहीं किए गए हैं और अन्य आतंकी संगठनों के बाद इस तरह के हथियार नहीं है। क्योंकि वह ऑटोमैटिक फायर नहीं कर सकते हैं। भारत में पूर्वोत्तर के विद्रोही म्यांमार में शरण लेते रहे हैं और अराकान आर्मी की जड़ें म्यांमार के रखाइन स्टेट हैं। जहां पर रोहिंग्या काफी संख्या में हैं। वहीं कुछ समय पहले भारतीय सेना ने म्यांमार में जाकर आतंकी संगठनों के कैंपों को ध्वस्त किया था। 

फिलहाल भारत सरकार ने इसकी जानकारी थाइलैंड सरकार और म्यांमार की सरकारों को दी है और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने म्यांमार और थाइलैंड में वहां के अफसरों से इस बारे में बातचीत की है। ये भी कहा जा रहा है कि म्यांमार में अपनी जड़ों को जमाने के लिए चीन कूटनीतिक तरीकों के जरिए आतंकवादी संगठनों को आधुनिक हथियार मुहैया करा रहा है।