तैनाती के दौरान एक युद्धपोत पर कुछ नाविकों द्वारा अधिकारियों को पीटने की घटना पर नौसेना ने सख्त रुख अपनाया है। नौसेना के एक पैनल ने ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए जूनियर नाविकों और प्रशिक्षुओं को सघन ड्रिल और परेड अभ्यास कराने की सिफारिश की है। 

मार्च 2017 में चार नाविकों को नौसेना के युद्धपोत आईएनएस संध्यक से एयरलिफ्ट कर हटा दिया गया था। उस समय यह पोत बंगाल की खाड़ी में नियमित तैनाती पर था और वहां इन नाविकों की कुछ अधिकारियों से झड़प हो गई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी में घटना की बोर्ड ऑफ इनक्वायरी के आदेश दिए गए थे। उन्होंने ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कुछ सिफारिशें की थीं। 

'माय नेशन' के हाथ लगे इस सर्कुलर के अनुसार, 'सबसे बड़ी सिफारिश पोत पर मौजूद प्रशिक्षु और जूनियर नाविकों को बंदरगाह प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत सघन ड्रिल और परेड प्रैक्टिस कराने की है।'

नौसेना प्रशिक्षण निदेशालय की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक, बल की सभी फार्मेशन को इन आदेशों के पालन के लिए की गई कार्रवाई से नियमित तौर पर अपडेट करने को कहा गया है। 

ब्रिटिश काल में सैनिकों को अतिरिक्त शारीरिक प्रशिक्षण और दूसरी ड्रिल कराई जाती थी।   

नौसेना के मुताबिक, पिछले साल मार्च में 'बंगाल की खाड़ी में पारादीप पर नियमित तैनाती के दौरान आईएनएस संध्यक पर झगड़े का मामला सामने आया था। इसमें कुछ युवा नाविक शामिल पाए गए थे।'

नौसेना ने इस बात की पुष्टि की है कि घटना में नए नाविक शामिल थे। जांच पूरी होने तक सभी को पोत से हटाने का निर्देश दिया गया था। 

नौसेना ने इस घटना में शामिल नाविकों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। इनमें से कुछ को कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा है।