प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में मालदीव में नई सरकार के शपथग्रहण में शामिल हुए। इससे साफ हो गया कि मालदीव चीन पर भारत को वरीयता दे रहा है। अब भारतीय कोस्ट गार्ड इस द्वीपीय राष्ट्र में होने वाले तीन देशों के संयुक्त अभ्यास में हिस्सा लेगा। इसमें मालदीव के अलावा एक अन्य देश श्रीलंका है। 

यही नहीं कोस्ट गार्ड के महानिदेशक राजेंद्र सिंह तीन दिन की यात्रा पर माले जाएंगे। जहां कोस्ट गार्ड के अत्याधुनिक तटीय निगरानी पोत आईसीजीएस समर और तेज गति से निगरानी करने वाला पोत आईसीजीएस आर्यमान इस संयुक्त अभ्यास में हिस्सा लेंगे।

सरकार के वरिष्ठ सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि द्वीपीय देश मालदीव में होने वाले अभ्यास का उद्देश्य सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त समुद्री क्षेत्र है। 

श्रीलंका की ओर से उनका कोस्ट गार्ड पोत एसएलसीजीएस रक्षा और मालदीव कोस्ट गार्ड का पोत हुरावी इसमें हिस्सा लेगा। श्रीलंका का पोत पहले भारतीय कोस्ट गार्ड का हिस्सा था। वहीं मालदीव के पोत की इंडियन शिपयार्ड ने हाल ही में मरम्मत और ओवरहालिंग की है। यह भारत के मित्र पड़ोसी देशों की क्षमता  बढ़ाने के प्रयासों के तहत किया गया है। 

इस अभ्यास से पहले श्रीलंका की नौसेना के दो अधिकारियों को भारत द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये दोनों उस समय आईसीजीएस समर का हिस्सा होंगे। जब ये पोत कोच्चि के तट से मालदीव के लिए रवाना होगा। 

मालदीव में अभ्यास का अपना मिशन पूरा करने के बाद कोस्ट गार्ड का पोत दोनों अधिकारियों को कोलबो छोड़ेगा। 

मालदीव सरकार पूर्व की व्यवस्था के तहत अपने यहां कोस्ट गार्ड के पोतों और नौसेना के हेलीकॉप्टरों की तैनाती पर सहमत है। वहीं इससे पहले की चीन हितैषी सरकार ने भारतीय दल को वहां से चले जाने के लिए कह दिया था। 

हिंद महासागर में चीन के ऊपर बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल करते हुए भारत इस द्वीपीय राष्ट्र की नई सरकार का सबसे बड़ा मित्र बनकर उभरा है। नई सरकार का समर्थन करने वालों का चीन खिलाफ स्वर साफ सुना जा सकता है। इसमें मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद शामिल हैं। वह पहले ही यह कह चुके हैं कि चीन की मदद से बने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का फोरेंसिक ऑडिट होना चाहिए। इन प्रोजेक्टों की बदौलत एशिया का यह छोटा सा द्वीपीय राष्ट्र भारी कर्ज में डूब चुका है। 

चुनाव हारने वाले अब्दुल्ला यामीन माले  में भारतीय हितों के खिलाफ चीन के साथ मिलकर काम कर रहे थे। उनकी हार को भारत की अपने पड़ोस में बड़ी जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। व्यापार के लिए दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग पर चीन की नजरें टेड़ी हैं और वह मालदीव में घुसने की हर संभव कोशिश कर रहा था।