भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार के कैबिनेट विस्तार में फंसे पेंच के बाद अब एक बार फिर मंत्रियों को जिलों के बंटवारे पर पेंच फंसता नजर आ रहा है। इस बार भी सिंधिया खेमे के कारण जिलों का बंटवारा मंत्रियों के बीच में नहीं हो पा रहा है।  फिलहाल  कोरोना संकटकाल में शिवराज के चौथी बार मध्य प्रदेश का सीएम बनने के बाद राज्य में कई फैसलों में देर हो रही है। वहीं राज्य में उपचुनाव होने हैं और चुनाव आयोग के ऐलान से पहले मंत्रियों को उनके जिले बांटे जाने हैं।

मध्य प्रदेश में भले ही भाजपा ने राज्य में सरकार बना ली है। लेकिन सत्ता में आने के बाद मुश्किलों का दौर खत्म नहीं हो रहा है। राज्य में पहले शिवराज कैबिनेट के गठन में  समय लगा और उसके बाद मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे में लंबा समय लगा। यही नहीं इसके बाद मंत्रियों को उनके विभाग बांटने में भी लंबा समय लगा है। असल में राज्य में कांग्रेस से आए नेताओं के मंत्रियों के बनने के बाद राज्य सरकार पसोपेश में है। क्योंकि कुछ न कुछ पेंच फंस जाने के बाद सरकार फैसले नहीं कर पा रही है।

फिलहाल अब राज्य के मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिए जाने को लेकर राज्य  सरकार के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। राज्य में कैबिनेट का गठन हुए डेढ़ महीने से भी ज्यादा का समय हो गया है । लेकिन मंत्रियों को ज़िलों का प्रभार नहीं मिला है। वहीं राज्य में आने वाले दिनों में उपचुनाव हैं। लिहाजा जिन मंत्रियों को चुनाव लड़ना है। वह जिलों का प्रभार चाहते हैं। ताकि कार्यकर्ताओं से संपर्क किया जा सके। वहीं बताया जा रहा कि पहले की तरह हर बार भी समस्या सिंधिया खेमे के कारण ही सामने आ रही है। बताया जा रहा कि जिलों के प्रभार को लेकर मंत्रियों के बीच खींचतान जारी है और हर कोई बड़े जिलों का प्रभार चाहता है।