उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में उसकी सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर जनता और सरकार के लिए सस्पेंस बने हुए हैं। अभी तक योगी सरकार ने उन्हें कैबिनेट से निकालने की अधिसूचना जारी नहीं की है जबकि राजभर का दावा है कि वह योगी सरकार के हिस्सा नहीं हैं। राजभर की पार्टी राज्य में बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ रही है।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) राज्य में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रही है। जबकि वह अभी तक राज्य सरकार में बीजेपी की सहयोगी है। योगी सरकार में अभी तक ओपी राजभर का दर्जा कैबिनेट मंत्री का है। हालांकि कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर दावा कर रहे हैं कि उन्होंने 13 अप्रैल को ही वह योगी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। लिहाजा वह अब कैबिनेट में नहीं है। लेकिन अभी तक राजभर ने सरकारी सुविधाओं को नहीं छोड़ा है।

गौरतलब है कि ओपी राजभर बीजेपी द्वारा लोकसभा चुनाव में उन्हें सीट न देने से नाराज हो गए थे और उन्होंने रात में तीन बजे मुख्यमंत्री आवास में जाकर अपने इस्तीफे का ऐलान किया था। हालांकि उस वक्त उनका इस्तीफा किसी ने नहीं लिया था। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें बीजेपी के टिकट पर घोसी सीट पर चुनाव लड़ने का ऑफर किया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था और अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था। हालांकि अभी तक योगी मंत्रिमंडल ने उनके मंत्रिमंडल का हिस्सा न होने की कोई अधिसूचना जारी नहीं की है।

राजभर का दावा है कि पार्टी के महासचिव अरविंद राजभर ने भी लघु उद्योग विकास निगम और दूसरे नेता राना अजित सिंह ने भी बीज विकास निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि बीजेपी चुनाव में फायदा लेने के लिए उनकी पार्टी के झंडा व उनके फोटो का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी शिकायत उन्होंने चुनाव आयोग में दर्ज करा दी है।

सोशल मीडिया पर चल रही इस्तीफे की खबरों की पुष्टि करते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राजभर ने कहा कि लोकसभा सीट के बंटवारे के मुद्दे पर 13 अप्रैल की रात को मुख्यमंत्री ने उन्हें सीएम आवास पर बुलावा था। वह योगी के बुलावे पर सीएम आवास पहुंचे थे। जहां पर उन पर एक सीट देकर भाजपा के ही सिंबल पर चुनाव लड़ने का दबाव डाला जा रहा था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की पेशकश ठुकरा कर घर लौट आए थे।

उन्होंने बताया कि घर पर ही मैने इस्तीफा टाइप कराया और उसी रात को 3 बजे फिर से सीएम आवास पहुंचा तो बताया गया कि मुख्यमंत्री सोने चले गए हैं। इस पर हमने सीएम के एक ओएसडी को त्यागपत्र की कॉपी दिया तो उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला बताकर इस्तीफा लेने से इंकार कर दिया। लिहाजा इस्तीफे की एक कॉपी वहीं छोड़ कर चला आया। राजभर ने कहा कि अब तक मुख्यमंत्री के यहां से इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई है।