अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामले में गिरफ्तार बिचौलियां व आरोपी जेम्स क्रिश्चियन मिशेल को पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मिशेल पर लगे आरोप काफी गंभीर है लिहाजा मिशेल की जमानत याचिका को खारिज किया जाता है। 

बता दें कि मिशेल की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने मिशेल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कोर्ट सीबीआई और ईडी दोनो के मामले में दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान ले चुकी है। इसलिए आरोपी डिफाल्ट जमानत का दावा नहीं कर सकता है। वही प्रवर्तन निदेशालय ने कहा था कि इटली की कोर्ट में जो दस्तावेज पेश किए गए है, वे झूठे है। इसका उनके पास सबूत मौजूद है। 

ईडी ने यह भी कहा था कि हमारी जांच संतोषजनक थी और हमने ये जांच की कि विभिन्न बैंक खातों के जरिये हवाला की कितनी रकम जमा हुई है। मिशेल ने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने उसके मामले में 60 दिन की तय समय सीमा के भीत्तर आरोप पत्र दाखिल नही किया है और इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है। 

लिहाजा उसे जमानत मिलना चाहिए। ज्ञात हो कि भारतीय अधिकारियों ने सितंबर 2015 में मिशेल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया और उसके खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। अन्य दो आरोपी गुइदो हास्के और कार्लो गेरोसां हैं। गौरतलब है कि ईडी के दस्तावेज के मुताबिक मिशेल को 12 हेलीकॉप्टर के समझौते को अपने पक्ष में कराने के लिए 225 करोड़ दिए गए। 

आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान 2010 में हुए इस डील का करार पाने के लिए ऐंग्लो-इटैलियन कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड ने भारतीय राजनेताओं, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, नौकरशाहों समेत वायुसेना के दूसरे अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए मिशेल को करीब 350 करोड़ रुपये दिए। इस सौदे में 2013 में घूसखोरी की बात सामने आने पर तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटोनी ने न केवल सौदा रद्द किया बल्कि सीबीआई जांच के आदेश भी दिए।