उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की परेशानीआने वाले समय मे बढ़ सकती है। क्योंकि उनकी आय से अधिक संपत्ति का मामला एक बार फिर देश के सबसे बड़ी अदालत में पहुच चुका है। 

यह याचिका पेशे से वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है। उनकी मांग है कि सीबीआई को पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रतीक यादव की संपत्तियों की जांच रिपोर्ट अदालत में रखने का आदेश दिया जाए। 

अर्जी में चतुर्वेदी ने यह भी कहा है कि सीबीआई ने यह जांच कर ली थी और जांच में पाया था कि प्रथम दृष्ट्या यादव परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला बनता है। लेकिन इस जांच के छह साल बीतने के बाद भी सीबीआई ने यह रिपोर्ट किसी अदालत में पेश नही की है। साल 2013 में किए एक आकलन में यह संपत्ति 24 करोड़ रुपये से अधिक पाई गईं थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2007 में विश्वनाथ चतुर्वेदी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सीबीआई को मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, पत्नी डिम्पल यादव, भाई प्रतीक यादव की संपत्तियों की जांच करने का आदेश दिया था। हालांकि बाद में 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश यादव की पत्नी को इस मामले से यह कह कर बाहर कर दिया था कि वह कोई सार्वजनिक पद पर नही थीं। 

ज्ञात हो कि साल 2016 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और उनके परिवार को आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस मामले में हम सीबीआई से प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को नही कह सकते। इस केस में 13 दिसंबर 2012 को ही आदेश जारी कर चुका है कि सीबीआई खुद इस मामले की जांच करे।