फिलहाल अब करारी हार के बाद एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव को पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही मोर्चों पर अकेले लड़ना होगा। परिवार में अब उनके खिलाफ बगावत हो सकती है। मुलायम भी उनसे पार्टी के अध्यक्ष के पद को छोड़ने के लिए कह सकते हैं। असल में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले एसपी ने कांग्रेस से गठबंधन किया था, जबकि मुलायम सिंह यादव इसके खिलाफ थे। विधानसभा चुनाव में एसपी सिमट कर 47 सीटों पर पहुंच गयी जबकि कांग्रेस को महज 9 सीटें मिली थी।
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को करारी हार मिली है। अखिलेश यादव द्वारा पार्टी का नेतृत्व संभालने के बाद उनकी दूसरी सबसे बड़ी हार है। असल में अखिलेश की हार पीछे सबसे बड़ा कारण अपने पिता और संरक्षक मुलायम सिंह यादव की उस सलाह की अनदेखी करना है, जो अखिलेश ने एक बार नहीं बल्कि दो बार की। लिहाजा अब इस हार की जिम्मेदारी अखिलेश को ही लेनी होगी और अब पार्टी में उनके खिलाफ आवाज भी तेजी उठेंगी। राज्य में एसपी सिमट कर पांच सीटों पर पहुंच गयी है। एसपी के गठबंधन के ये सबसे बड़ी हार मानी जा रही है।
अखिलेश यादव हालांकि आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीत गए हैं। लेकिन उनकी पत्नी और कन्नौज से सांसद डिंपल यादव चुनाव हार गयी हैं। यही नहीं अखिलेश के दो चचेरे भी अक्षय यादव फिरोजाबाद से और धर्मेन्द्र यादव बदायूं से भी पराजित हों गए हैं। इन दोनों सीटों को यादव गढ़ माना जाता है। बदायूं में धर्मेन्द्र दो बार सांसद रह चुके हैं जबकि फिरोजाबाद में अक्षय यादव एक बार सांसद रह चुके हैं।
यही नहीं इस सीटों पर पिछले बार के लोकसभा में एसपी का ही कब्जा रहा। हालांकि इस बार मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव की जीत का मार्जिन भी कम हुआ है। मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव पांच बार सांसद रह चुके हैं और ये एसपी की सबसे मजबूत सीटों में से एक है। फिलहाल अब करारी हार के बाद एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव को पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही मोर्चों पर अकेले लड़ना होगा। परिवार में अब उनके खिलाफ बगावत हो सकती है। मुलायम भी उनसे पार्टी के अध्यक्ष के पद को छोड़ने के लिए कह सकते हैं।
असल में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले एसपी ने कांग्रेस से गठबंधन किया था, जबकि मुलायम सिंह यादव इसके खिलाफ थे। विधानसभा चुनाव में एसपी सिमट कर 47 सीटों पर पहुंच गयी जबकि कांग्रेस को महज 9 सीटें मिली थी। उस वक्त भी मुलायम ने सार्वजनिक मंच से गठबंधन करने के लिए आलोचना की थी। वहीं लोकसभा चुनाव के लिए बीएसपी से गठबंधन करने के फैसले के खिलाफ मुलायम सिंह यादव भी थे।
लेकिन अखिलेश ने मुलायम की सलाह को दरकिनार कर मायावती से चुनावी गठबंधन किया। इसका नतीजा ये रहा कि एसपी सात लोकसभा सीटों में से पांच में सिमट में गयी है। हालांकि 2014 में भी जब लोकसभा का चुनाव हुआ था उस वक्त राज्य में एसपी की सरकार थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, उस वक्त भी एसपी महज पांच सीटों को जीतने में कामयाब रही। इसके बाद एसपी ने दो सीटें उपचुनाव में जीती। एसपी से गठबंधन करने का सबसे ज्यादा फायदा मायावती को हुआ और वह 10 सीटें जीतने में कामयाब रही। लड़ना होगा।
गौरतलब है कि 2016 में यादव परिवार में जमकर कलह बाजी शुरू हुई। जिसका नुकसान 2017 के विधानसभा चुनाव में एसपी को उठाना पड़ा। अब लोकसभा चुनाव की हार की जिम्मेदारी अकेले अखिलेश यादव पर होगी। हालांकि पिछले साल एसपी बीएसपी के बीच बनने वाले गठबंधन से राज्यसभा चुनाव में बीएसपी का प्रत्याशी जीत नहीं पाया था। जिसके बाद मायावती ने अखिलेश यादव के 'अनुभव' पर सवाल उठाए थे। हालांकि इसके बावजूद मायावती ने अखिलेश के साथ चुनावी गठबंधन किया।
Last Updated May 24, 2019, 10:40 AM IST