इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अयोध्या में विवादित स्थल पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि याचिका 'पब्लिसिटी' हासिल करने के लिए दायर की गई थी। अल रहमान ट्रस्ट द्वारा दायर इस याचिका के चलते अदालत का समय बर्बाद हुआ। 

अल रहमान ट्रस्ट रायबरेली की पंजीकृत संस्था है। यह मुसलमानों की शिक्षा और इस्लाम के प्रसार के लिए काम करता है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर की गई याचिका में मांग की गई थी कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मुसलमानों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए।  यह जगह अयोध्या जिले की सदर तहसील अयोध्या स्थित मोहल्ला कोट रामचंद्र में है। इसमें प्लॉट संख्या 159, 160 समेत रामजन्म भूमि-बाबरी परिसर के एक तिहाई हिस्से शामिल हैं। याचिका में केंद्र व राज्य सरकार सहित फैजाबाद के मंडलायुक्त (रिसीवर) और जिलाधिकारी को भी पक्षकार बनाया गया था।

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 ट्रस्ट का कहना था कि अयोध्या में विवादित स्थल पर भगवान रामलला की मूर्ति रखी है। वहां पर हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति है तो मुसलमानों को भी वहां नमाज पढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। याचिका में हाई कोर्ट के 2010 के उस आदेश का हवाला भी दिया गया था जिसमें कहा गया था कि विवादित भूमि पर मुसलमानों का भी एक तिहाई हिस्सा है। 

प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता श्रीप्रकाश सिंह ने याचिका का कड़ा विरोध किया। उनका तर्क था कि इस विवादित स्थल का मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में इस प्रकार की याचिका दायर नहीं की जा सकती। विवादित स्थल पर यथा स्थिति कायम रखने का आदेश पहले से चला आ रहा है। याची ट्रस्ट 2017 में पंजीकृत हुआ है, यह याचिका लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की गई है।