उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को काफी हद तक मना लिया है। लेकिन अभी इन दलों के लिए सीटों का बंटवारा भी होना है। अभी तक भाजपा सहयोगी दलों को कौन सी सीटें देगी इस पर कोई आम सहमति नहीं बन पायी है। 

केन्द्र और राज्य सरकार में समर्थन दे रहे भाजपा के सहयोगी दल काफी अरसे से उससे नाराज चल रहे थे। लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने के बाद दोनों की नाराजगी कम हुई। एक दिन पहले निगमों और प्राधिकरणों के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों में भाजपा ने अपने नेताओं के साथ ही सहयोगी दलों के नेताओं को इन नियुक्त किया। जिससे सहयोगी दल काफी खुश है। गौरतलब है कि विधानपरिषद के चुनाव में भाजपा ने अपने सहयोगी अपना दल के अध्यक्ष आशीष पटेल को सदस्य मनोनीत किया था। अब अमित शाह से मुलाकात के बाद इन दोनों दलों को आयोगों और निगमों में प्रतिनिधित्व देकर प्रदेश भाजपा ने इन्हें साथ लेकर चलने का स्पष्ट संकेत भी दे दिया है।

क्योंकि राज्य में सपा और बसपा का गठबंधन बन जाने के बाद भाजपा भी दबाव में है और वह अपने सहयोगियों के छोड़ने के पक्ष में नहीं है। अपना दल की संरक्षक अनुप्रिया पटेल और अध्यक्ष आशीष पटेल ने दबाव बनाने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। हालांकि बाद में उन्होंने इसे व्यक्तिगत बताते हुए पल्ला झाड़ दिया था। वहीं प्रदेश सरकार में मंत्री तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने सीटों को लेकर बड़ी उम्मीदें पाल रखी हैं।

राजभर राज्य की पांच लोकसभा सीटों के लिए दावा कर रहे हैं। इसमें पूर्वांचल की घोसी, अंबेडकरनगर, जौनपुर, चंदौली और सलेमपुर की सीटें शामिल हैं। हालांकि भाजपा उन्हें महज दो सीटें देने के लिए तैयार है। कुछ ऐसी स्थिति अपना दल की भी है वह लोकसभा चुनाव में छह सीटों को अपने खाते में देने की बात कर रही हैं। अनुप्रिया पटेल का फिर से मिर्जापुर सीट से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। इसके अलावा पार्टी आधा दर्जन से अधिक सीटों पर दावा कर रही है। जिस में जौनपुर, फूलपुर, राबर्ट्सगंज, डुमरियागंज तथा प्रतापगढ़ हैं।