कभी समाजवादी पार्टी के नीति निर्धारक माने जाने वाले अमर सिंह ने यूपी में लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को मिली हार पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तंज कसा है। यूपी में लोकसभा चुनाव में एसपी को महज पांच सीटें ही मिली हैं। जबकि एसी ने बीएसपी के साथ चुनावी गठजोड़ किया था। लेकिन अब इसे बीएसपी प्रमुख मायावती ने तोड़ दिया है। 

अमर सिंह कभी मुलायम सिंह के सबसे करीबी नेता माने जाते थे। यूपी में मुलायम सिंह की दो सरकारों में अमर सिंह की तूती बोलती थी और पार्टी के भीतर लिए जाने वाले सभी फैसलों में अमर सिंह की राय ली जाती थी। लेकिन एसपी की कमान अखिलेश यादव के पास जाते ही अखिलेश यादव ने अमर सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया था।

हालांकि उससे पहले मुलायम के दबाव में अमर सिंह को राज्यसभा का सांसद बना दिया था। अमर सिंह के साथ ही जयाप्रदा को भी पार्टी से बाहर किया गया। कहा जाता है कि मुलायम सिंह अखिलेश और डिंपल के विवाह के खिलाफ थे। लेकिन अमर सिंह के दबाव में ही मुलायम माने और शादी के लिए रजामंदी दी।

कभी अखिलेश अमर सिंह को अंकल कहा करते थे। हालांकि एसपी की भीतर की राजनीति में आजम खान और रामगोपाल यादव हमेशा से ही अमर सिंह के विरोध में रहे। इसका सबसे बड़ा कारण अमर का राजनैतिक कद बढ़ना था। फिलहाल अब लोकसभा चुनाव में अखिलेश को मिली हार पर अमर सिंह ने तंज कसा है।

अमर सिंह अपने अपने अंदाज में कहा कि सिर्फ जगन रेड्डी को छोड़कर ज्यादातर राजनीतिक घरानों के बेटें नाकाम ही रहे हैं। अमर सिंह ने लिखा है कि वंश के बलबूते सत्ता हासिल नहीं की जा सकती है बल्कि इसे अपनी कड़ी मेहनत से हासिल किया जाता है।

अमर सिंह ने ये भी लिखा है कि बेटा अखिलेश तुम हर किसी के लिए मुसीबत लाते हो, सफलता का एक मात्र तरीका आपका अपना व्यक्तित्व और कड़ी मेहनत है। असल में राज्य में अखिलेश के दबाव में बहुजन समाज पार्टी से लोकसभा चुनाव से पहले गठजोड़ हुआ था।