नई दिल्ली। अमेरिका और ईरान के बीच टकराव चरम पर है। लेकिन इन सबके बीच आज अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भारत दौरे पर दिल्ली पहुंच रहे हैं। वह आज रात वह दिल्ली पहुंचेंगे। पोम्पियो अपने भारत दौर के दौरान प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्री जयशंकर पोम्पियो के सम्मान में लंच का आयोजन करेंगे। उनके इस दौरे में ईरान से तेल आयात, पाकिस्तानी आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर बातचीत होगी।

ऐसा माना जा रहा है कि उनके इस दौरे पर भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते और ज्यादा मजबूत होंगे। हालांकि पिछले कुछ सालों के दौरान अमेरिका का भारत के प्रति विश्वास बढ़ा है और दोनों देशों के बीच कारोबारी रिश्तों में मजबूती आयी है। भारत और अमेरिका के बीच बेहतर होते रिश्तों का पता इसी बात से चलता है कि अमेरिका ने पाकिस्तान से दूरी बढ़ा ली है और उसे आर्थिक मदद भी नहीं दी जा रही है। लिहाजा पाकिस्तान की चीन के साथ निकटता बढ़ी है।

फिलहाल उनकी इस यात्रा में आंतकवाद और कारोबार पर चर्चा होगी। भारत अमेरिका से रक्षा उपकरण खरीदने वाला बड़ा खरीदार है। लिहाजा अभी भारत अमेरिका से 24 एमएच60 सीहॉक हेलीकॉप्टर, विमान, 6 अधिक अपाचे-64 हेलीकॉप्टर खरीद रहा है। हालांकि भारत रूस से भी हथियार खरीद रहा है। जिसको लेकर अमेरिका अकसर अपना विरोध जताता है। लेकिन भारत सभी देशों से खरीद रहा है।

बहरहाल अमेरिकी विदेश मंत्री की इस यात्रा में रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर करेंगे। इसके साथ ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और भारत चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर चिंतित हैं। लिहाजा दोनों देश इस पर एक संयुक्त कदम उठा सकते हैं। यही नहीं भारत-अमेरिकी के बीच चल रहे तनाव से व्यापार में पड़ रहे असर को कम करने के लिए दोनों देश बातचीत कर सकते हैं।

क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने भारत को विशेष तरजीह वाले देशों की सूची से बाहर कर दिया था। हालांकि भारत ने जवाब में अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ा दिया था। इन मुद्दों के अलावा ईरान से तेल खरीद पर भी अमेरिका और भारत के बीच बातचीत हो सकती है। क्योंकि अभी तक अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने वाले देशों को चेतावनी दी है कि अगर वह तेल खरीदते हैं तो उन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

 लिहाजा अमेरिका भारत को अन्य देशों से तेल खरीदने पर रियायत दे सकता है। इन अहम मसलों के अलावा एच-1 बी पर भी अमेरिका भारत को राहत दे सकता है। हालांकि पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने कहा था कि वह एच-1बी कार्यक्रम की समीक्षा करेगा और भारत के हितों को ध्यान में रखेगा।