कर्नाटक में सरकार गठन के बाद से ही सियासी ड्रामा जारी है। जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के बीच खींचतान की खबरें रोजाना सामने आती हैं। केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए की सरकार के सत्ता में लौटने के बाद कर्नाटक में सियासी हलचल तेज हो गई है। भाजपा की ओर से दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 10 विधायक उसके साथ आने को तैयार हैं। इनमें कांग्रेस के सात और जेडीएस के तीन विधायक हैं। हालांकि पार्टी नेतृत्व ने इसके लेकर कुछ नहीं कहा है। 

रविवार को इन कोशिशों में उस समय नया ट्विस्ट आ गया जब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए एसएम कृष्णा से कांग्रेस के दो विधायकों ने मुलाकात की। हालांकि मुलाकात के बाद कांग्रेस विधायकों ने कहा कि यह सिर्फ शिष्टाचार भेंट थी। 

कांग्रेस के रमेश जरकिहोली और डॉक्टर सुधाकर ने कृष्णा से बेंगलुरु में उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। कृष्णा के घर पर भाजपा नेता आर अशोक भी मौजूद थे। जरकिहोली ने इस मुलाकात पर कहा, 'यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं थी। हम सिर्फ एसएम कृष्णा से मिलने आए थे और उन्हें कर्नाटक में भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की है, हम उन्हें बधाई देने आए थे। यह एक शिष्टाचार भेंट थी।' 

भाजपा नेता आर अशोक ने भी इस मुलाकात का कोई राजनीतिक अर्थ नहीं होने की बात कही। उन्होंने कहा, 'मैं कृष्णा से पार्टी संबंधी मसलों पर बात करने आया था। मेरी कांग्रेस नेताओं रमेश जरकिहोली और डॉक्टर सुधाकर से कोई मित्रता नहीं है।' 

कर्नाटक में भाजपा सबसे बड़ा दल है, लेकिन जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर सरकार का गठन किया है।