राम मंदिर के मुद्दे पर संतों की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अगले हफ्ते प्रयागराज में चल रहे कुंभ में स्नान करेंगे और संतों से मिलेगे, ताकि संतों की नाराजगी राम मंदिर को लेकर दूर की जा सके। अभी तक अमित शाह कुंभ नहीं गए हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे पहले कुंभ जा चुके हैं और योगी सरकार कुंभ में कैबिनेट बैठक भी कर चुकी है।

प्रयागराज के कुंभ में राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद भी हुई। लेकिन इसमें कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। जबकि यहां पर आए संतों ने भाजपा पर राम मंदिर को लेकर राजनीति करने का आरोप भी लगाया। अब अमित शाह कुंभ में जाकर संतों की नाराजगी को दूर करना चाहते हैं। कुंभ में प्रदेश की योगी सरकार कैबिनेट बैठक भी कर चुकी है। जिसके कारण संतों सरकार की तारीफ तो की। लेकिन राममंदिर को लेकर भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया।

धर्म संसद में राम मंदिर के निर्माण के लिए भाजपा को और छह महीने का समय दिया गया। हालांकि कई संत इसके खिलाफ थे। धर्म संसद में पहले ही दिन राम मंदिर निर्माण लेकर तिथि बताने का दबाव संतों ने विहिप पर बनाया। असल में अमित शाह के कुंभ जाने के पीछे एक और मकसद बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के करीबी संत शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के अयोध्या कूच करने के ऐलान से भाजपा और संघ चिंति है।

भाजपा को लगता है कि कहीं इस मामले में कांग्रेस कूद गयी तो उसे आगामी चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा। लिहाजा अमित शाह ने कुंभ का दौरा करने का फैसला किया है। इस दौरान वह सभी तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के साथ ही संतों के साथ संगम स्नान करेंगे। साथ ही लोकसभा चुनाव के पहले अखाड़ों और संतों की नाराजगी दूर करने की कोशिश करेंगे।