नई दिल्ली:  फारुक खान जम्मू कश्मीर में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के पद से सेवानिवृत हुए थे। जिसके बाद साल 2016 से वह केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में प्रशासक के पद पर तैनात थे। 

लेकिन अब उन्हें फिर से जम्मू कश्मीर में नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। आतंकवाद प्रभावित कश्मीर का प्रशासन संभालने के लिए अब वह राज्यपाल सत्यपाल मलिक को अपने अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर सलाह देंगे। 

देश के प्रति फारुक खान का जज्बा काबिले तारीफ है। उनसे जब पूछा गया कि वह कश्मीर लौटना चाहते हैं या फिर लक्षद्वीप में ही रहना चाहते हैं। जिसके जवाब में फारुक कहा कि वह 'सरकार की इच्छा के अनुरूप वह देश सेवा के लिए तैयार हैं।'

पूर्व पुलिस अधिकारी फारुक खान अब आतंकवाद विरोधी रणनीति और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर राज्य प्रशासन को सलाह देंगे। उनका आतंकवाद के खिलाफ जंग का पुराना रिकॉर्ड रहा है। उनकी गिनती राज्य के ईमानदार और निष्ठावान पुलिस अधिकारियों में होती रही है। आतंकवाद के प्रति उनका रवैया जीरो टॉलरेन्स रहा है। जिसकी वजह से आतंकियों और अलगाववादियों के मन में उनको लेकर बहुत दहशत रहती है। 

आतंकवाद के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए फारुक खान ने सफलतापूर्वक कई सारे ऑपरेशनों को अंजाम दिया है। वह 1984 बैच के राज्यसेवा अधिकारी हैं, जिन्हें 1994 में आईपीएस कैडर मिला था। लेकिन वह साल 2013 में आईजी के पद से रिटायर हो गए थे। 

फारुक जम्मू इलाके से आते हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर पुलिस से रिटायर होने के बाद पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता हासिल कर ली थी। उनकी इस नई नियुक्ति के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है। 

भाजपा सदस्य होने के कारण फारुक खान के संबंध गृहमंत्री के साथ साथ बीजेपी अध्यक्ष पद भी संभाल रहे अमित शाह से बेहद मधुर हैं। शायद इन्हीं निजी संबंधों की वजह से अमित शाह ने उन्हें आतंक प्रभावित जम्मू कश्मीर में इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।