आम्रपाली बिल्डर्स मामले की सुनवाई के दौरान निवेशकों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आम्रपाली के डायरेक्टर होटल में रह रहे है। बाकियों की तरह इन्हें तिहाड़ जेल में क्यों नही रखा जा रहा है?

 मामले की सुनवाई के दौरान ऑडिटर्स ने कोर्ट को बताया कि बहुत सारे फ्लैट को बोगस बायर्स को दिया गया, जिन्होंने 50 रुपये में फ्लैट बुक कराये है। कोर्ट 24 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि आम्रपाली ने अपने फ्लैट को मिट्टी के दाम में बांट दिए गए है। 

यह भी कहा गया कि आम्रपाली के एक ग्रुप ने विदेशी कंपनी से मॉरीशस से 85 करोड़ रुपये मंगवाए। कोर्ट द्वारा नियुक्त फोरेंसिक ऑडिटर ने कोर्ट को बताया कि 1500 फ्लैट  मिट्टी के दाम पर अपने जान पहचान के लोगों को दिए है। 

आम्रपाली ने बड़ी संख्या में बोगस कंपनियां बनाई है, जिनके प्रमोटर / डायरेक्टर जैसे ऊंचे पदों पर हेल्पर जैसे ग्रेड फोर कर्मचारियों को रखा गया है। जिन्हें इस गडबड झाले की कोई ख़बर नहीं थी। 

एक विदेशी फाइनेंस कंपनी जेपी मोर्गन  के जरिये मॉरीशस से करोड़ो की रकम का हेरफेर किया। कोर्ट ने इस पर कंपनी के  भारत के प्रतिनिधि से जवाब तलब किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा कि अब अधूरे प्रोजेक्ट के निर्माण का काम शुरू हो जाना चाहिए। 

24 जनवरी को होने  अगली सुनवाई में एनबीसीसी को बताना है कि किन प्रोजेक्ट का काम सबसे पहले शुरू किया जा सकता है।