केन्द्र और राज्य में भाजपा सरकार की सहयोगी अपना दल(एस) उससे नाराज चल रही है। अपना दल(एस) की अगुवाई अनुप्रिया पटेल कर रही है और पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की। लिहाजा माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अगर भाजपा ने उन्हें ज्यादा सीटें नहीं दी तो वह कांग्रेस के साथ ही मिलकर चुनाव लड़ सकती है। असल में भाजपा की पिछले कुछ समय से कृष्णा पटेल के अगुवाई वाले अपना दल से करीबी बढ़ रही हैं। जिसके कारण अनुप्रिया भाजपा से नाराज हैं।

यूपी में भाजपा सरकार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल(एस) के सहयोग से चल रही है। अपना दल केन्द्र में भी भाजपा का सहयोगी है और उसके दो सांसद हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से अनुप्रिय पटेल भाजपा से नाराज हैं। पिछले दिनों विधान परिषद के चुनाव में उन्होंने नाराजगी जताई तो भाजपा ने उनके पति एमएलसी मनोनित कर दिया गया। असल में अपना दल(एस) के प्रति उसके कार्यकर्ताओं में जबरदस्त नाराजगी है। क्योंकि कार्यकर्ताओं का कहना ह कि अनुप्रिया पटेल अपने परिवार के हित साध रही हैं और उनकी अनदेखी कर रही है। लिहाजा पिछले कई महीनों से भाजपा की कृष्णा पटेल के अगुवाई वाले अपना दल के साथ निकटता बढ़ रही हैं।

गुरुवार को ही अनुप्रिया ने एनडीए से अलग होने का फैसला किया था और भले ही नाराजगी की वजह सहयोगी दलों की समस्याओं को भाजपा की ओर से नजरअंदाज किया बताया हो लेकिन सूत्रों की माने तो उनकी नाराजगी की वास्तविक वजह अपना दल (कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाला) की भाजपा से तेजी से बढ़ रही नजदीकी है। अनुप्रिया ने मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी से विवाद के बाद अपना दल(सोनेलाल) का गठन किया था। कांग्रेस से गठबंधन से पहले अपना दल(एस) को एनडीए से किनारा करना होगा और इसके लिए दोनों नेताओं ने कांग्रेस ने एक हफ्ते का समय मांगा है। हालांकि राज्य में कांग्रेस की स्थिति को देखते हुए अनुप्रिया इसे फायदे का सौदा नहीं मान रही हैं और अभी भी भाजपा के संपर्क में हैं।

ताकि चुनाव लिए सीटों पर समझौता हो सके। उधर पार्टी के अध्यक्ष अशीष पटेल ने कहा कि पार्टी 28 फरवरी को लखनऊ में बैठक कर अगली रणनीति तैयार करेगी। असल में अनुप्रिया पार्टी के नेताओं को खुश करने के लिए निगमों और बोर्ड में कार्यकर्ताओ का भी समायोजित करने की मांग कर रही थी, लेकिन अभी तक भाजपा ने इस पर कोई विचार नहीं किया है। लिहाजा कार्यकर्ता भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं और ऐसा माना जा रहा है कि जिसका खामियाजा पार्टी का आगामी लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा। यूपी की करीब 35 सीटों पर कुर्मी वोटरों का प्रभाव है।