भारतीय सेना एक सुगठित और मारक बल में ढलने के लिए आगामी सर्दियों में बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास करेगी। ये अभ्यास पाकिस्तान से सटी सीमा पर होंगे। इसमें सेना की नई लड़ाका फार्मेशन इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स यानी आईबीजी को परखा जाएगा। 

हाल ही में तैयार की गई आईबीजी योजना सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की पहल है। वह युद्ध के लिए सेना को ज्यादा प्रभावशाली और मारक बनाने की खातिर इसके ऑपरेशनल ढांचे को पुनर्गठित और समुचित आकार में लाने पर जोर दे रहे हैं। 

सेना के वरिष्ठ सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया, 'आईबीजी का मूल्यांकन करने के लिए हम उसका परीक्षण करेंगे। यह छह बटालियनों का एक सुगठित बल होगा। यह हवाई और आर्टिलरी की क्षमता से लैस होगा। आने वाली सर्दियों के दौरान होने वाले युद्धाभ्यासों में इसकी मारक क्षमता परखी जाएगी।'

उन्होंने बताया, नई अवधारणा को जमीन पर परखने से पहले योजना को लागू करने के लिए सेना मुख्यालय में चर्चा होगी। इसके बाद आईबीजी को आगामी सर्दियों में होने वाले युद्धाभ्यासों के दौरान परखा जाएगा। ये युद्धाभ्यास पाकिस्तान सीमा पर होने हैं।

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत समेत सेना के वरिष्ठ अधिकारी बल की नई युद्धक क्षमता की अवधारणा के गवाह बनेंगे और इसका मूल्यांकन करेंगे। सेना की लड़ाका इकाइयां जिसमें कोर, डिवीजन, ब्रिगेड और बटालियन आती हैं, अब नए ढांचे के तहत आईबीजी के तहत आएंगी। इनकी अगुवाई मेजर जनरल रैंक का अधिकारी करेगा। ये सीधे कोर मुख्यालय के तहत होंगी। 

योजना के अनुसार, आईबीजी में सेना की सभी इकाइयों के जवानों को लिया जाएगा। इसमें इंफेंट्री, आर्टिलरी, आर्म्ड, सिग्नल और इंजीनियर कोर शामिल है। यह मौजूदा ढांचे की तुलना में युद्ध की स्थिति में दुश्मन के इलाके में आसानी से घुसने में सक्षम होगी।