वित मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखा प्रहार करते हुए उन्हें ‘मसखरा राजकुमार’ बताया है। जेटली ने कहा कि वह मोदी सरकार द्वारा 15 उद्योगपतियों का 2.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने के बारे में ‘झूठ’ बोल रहे हैं।

राहुल गांधी अपनी रैलियों में लगातार मोदी सरकार पर इस तरह के हमले कर रहे हैं। जेटली ने अपने फेसबुक ब्लॉग में राहुल गांधी के इस तरह के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने किसी भी कर्जदार का एक रुपया भी माफ नहीं किया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों से कर्ज लेकर उसे नहीं लौटाने वाले 12 कर्जदारों को 2014 से पहले कर्ज दिया गया। मौजूदा सरकार उनसे इसकी वसूली कर रही है। उन्होंने कहा कि आज ऐसे लोगों को अपनी कंपनी से हाथ धोना पड़ रहा है। कर्ज की वसूली के लिये उनकी कंपनी और संपत्तियों की नीलामी की जा रही है। 

जेटली ने कहा, ‘आपने राफेल पर झूठ बोला, आपने बैंकों के एनपीए पर झूट बोला। तथ्यों को गढ़ने की आपकी सोच से एक वैध सवाल खड़ा होता है -- ऐसे लोग जो झूठ बोलना ही पसंद करते हैं , क्या वे सार्वजनिक बहस में शामिल होने लायक हैं।’ 

उन्होंने कहा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा कि क्या एक ‘मसखरे शहजादे’ के झूठ से सार्वजनिक चर्चा को प्रदूषित होने दिया जाना चाहिए।’ 

फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर राहुल गांधी लगातार नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने जिस कीमत पर राफेल विमान का सौदा तय किया था मोदी सरकार ने उसके तीन गुना से अधिक दाम पर यह सौदा किया। इसके अलावा राहुल गांधी यह भी आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी सरकार ने बैंकों का 2.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया है। 

जेटली ने आरोपों का जवाब देते हुये अपने ब्लॉग में लिखा, ‘कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संप्रग सरकार ने कर्जदारों के डिफाल्ट होने के बावजूद नया कर्ज देकर उसे छुपाया है। ऐसा कर संप्रग सरकार ने एनपीए और फंसे कर्ज की हकीकत पर पर्दा डाला।’ 

जेटली ने ब्लॉग में लिखा है, ‘राहुल गांधी जी, सच्चाई यह है कि आपकी सरकार ने बैंकों को लुटने दिया। कर्ज प्रस्तावों को ठीक से नहीं जांचा गया। आपकी सरकार की इसमें मिली-भगत थी।’ 


जेटली ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह ‘झूठ गढ़ते हैं’ और उसे बार दोहराते हैं और तब तक दोहराते रहते हैं जब तक कि वह वापस वहीं नहीं पहुंच जाते जो बातें उन्होंने राफेल सौदे को लेकर इन्हीं आरोपों का विरोध करते हुए पहले कही थी। 

उन्होंने कहा, ‘परिपक्व लोकतंत्र में जो झूठ पर निर्भर रहते हैं उन्हें सार्वजनिक जीवन के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। कइयों को सार्वजनिक जीवन से हाथ धोना पड़ा है क्योंकि वह झूठ बोलते हुये पकड़े गये। लेकिन यह नियम राजवंशी पार्टी कांग्रेस जैसे एक बड़े संगठन के ऊपर लागू नहीं होता है।’जेटली ने कहा, ‘राफेल के बारे में जो कुछ भी कहा जा रहा है वह पहला बड़ा झूठ है, जबकि दूसरा झूठ जो बार बार कहा जा रहा है वह यह कि मोदी सरकार ने 15 उद्योगपतियों का 2.50 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। राहुल गांधी के इस वाक्य में कहा जाना वाला हर शब्द झूठ है।’  

जेटली ने बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वाले बड़े कर्जदारों की सूची गिनाते हुए कहा कि भूषण स्टील, एस्सार स्टील सहित 12 कर्जदार हैं जिन्होंने पैसा नहीं लौटाया जबकि पिछली संप्रग सरकार के नेता कह रहे हैं कि 2014 में जब उनकी सरकार थी तब बैंकों का एनपीए मात्र 2.5 लाख करोड़ रुपये था जबकि सच्चाई यह है कि एनपीए को छुपाया गया था। 

वित्त मंत्री ने कहा, ‘2015 में रिजर्व बैंक ने बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा की थी। इस समीक्षा में जो सामने आया वह यह कि बैंकों का एनपीए वास्तव में 8.96 लाख करोड़ रुपये था। वास्तविक एनपीए को छुपाया गया।’ पिछली संप्रग सरकार ने कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे बैंकों के कर्ज की वसूली हो सके या फिर एनपीए कम किया जा सके। 

उन्होंने कहा कि 2014- 15 के बाद बैंकों का एनपीए इसलिये नहीं बढ़ा कि ज्यादा कर्ज दिया गया बल्कि इसलिए बढ़ा कि बकाये पर ब्याज का बोझ बढ़ गया। कई डिफाल्टर कर्जदारों के कर्ज को दूसरी बार पुनर्गठित किया गया ताकि उनका एनपीए छुपा रहे। 

किसी भी बैंक से जब कोई कर्ज लिया जाता तो जब तक उस पर मूल, ब्याज किस्त की अदायगी समय से होती रहती है तो उसे ‘सामान्य प्रदर्शन वाला खाता’ कहा जाता है। जैसे ही कर्जदार कर्ज कि किस्त नहीं लौटाता है तो उसमें डिफाल्ट हो जाता है और 90 दिन तक उस कर्ज खाते में यदि मूल और ब्याज की अदायगी नहीं होती है तो उसे गैर-निष्पादित संपत्ति यानी एनपीए घोषित कर दिया जाता है।

जेटली ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान किसी भी खाते को एनपीए घोषित नहीं किया गया। अब उनकी सरकार दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) लेकर आई है, जो कि इस दिशा में प्रभावी कदम उठाया गया।

इस कानून के तहत कर्ज लौटाने में असफल रही कंपनियों से कर्ज वसूली के लिये उनकी नीलामी का प्रावधान है। 

इस कानून के बनने के बाद रिजर्व बैंक ने 12 बड़े कर्जदारों की सूची तैयार की जो कर्ज नहीं लौटा पाये हैं। इन सभी कर्जदारों पर बैंकों का तीन लाख रुपये से अधिक का बकाया है। संप्रग सरकार के तहत बैंकों ने इस कर्ज की वसूली के लिये कोई कदम नहीं उठाया। बैंकों का पैसा हड़पने वाले एक भी कर्जदार के खिलाफ बैंकों ने कोई कारवाई नहीं की। 

उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने बैंकों को इस मामले में प्रभावी कदम उठाने के लिये सहारा दिया। ‘बैंक पुराने फंसे कर्ज की वसूली अब कर रहे हैं। बार बार झूठ दोहराने से आप सच्चाई को नहीं बदल सकते हैं।’ 

आईबीसी कानून के तहत पुराने फंसे कर्ज की वसूली के लिए कारवाई शुरू की जा चुकी है। कुछ डिफाल्टर को दंडित भी किया गया है। ‘इन सभी डिफाल्टरों को 2014 से पहले की सरकारों के समय कर्ज दिया गया। इस दौरान कइयों की कर्ज सीमा को काफी बढ़ाया गया। ये कर्ज पहले ही डिफाल्ट बन गए थे लेकिन पुनर्गठन, रोलओवर के नाम पर इनकी वास्तविकता को छुपाया गया।’