राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण देकर अब केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। हालांकि विधानसभा में आरक्षण पारित हो जाने के बाद भी गुर्जर आंदोलन खत्म नहीं होगा। आंदोलन की अगुवाई कर रहे कर्नल बैंसला का कहना है कि स्थिति साफ होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

राजस्थान विधानसभा में बुधवार को विधानसभा में गुर्जर सहित पांच अन्य जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण से संबंधित बिल पारित हो गया है। गहलोत सरकार ने पांच फीसदी आरक्षण तो दे दिया है। लेकिन इसे लागू करने के लिए केन्द्र सरकार से मंजूरी लेनी जरूरी है। क्योंकि बगैर संसद में पास किए इसे लागू नहीं किया जा सकता है।

लिहाजा गहलोत ने आरक्षण तो दे दिया है। लेकिन इसका फायदा केन्द्र से पारित होने के बाद ही गुर्जरों को मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के नियमों के मुताबिक आरक्षण पचास फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है। उधर गुर्जर नेताओं का कहना है कि उन्हें इस बारे में सरकार से ठोस प्रस्ताव चाहिए। सवाईमाधोपुर के मलारना डूंगर में रेल पटरी पर बैठे गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला और उनके समर्थक वहीं जमे हुए हैं। 

राजस्थान सरकार ने आम चुनाव से पहले इसके सियासी असर को देखते हुए आंदोलन को समाप्त करने की पहल की और विधानसभा में आरक्षण से जुड़ा बिल पेश करने का ऐलान किया। सरकार ने ऐलान किया कि राज्य सरकार गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव पेश कर पत्र लिखेगी।

राज्य में पूर्व की भाजपा सरकार ने भी दो बार ये प्रस्ताव पारित कराया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नियमों का हवाला देते हुए ये लागू नहीं हो सका। लेकिन अभी कांग्रेस सरकार का तर्क है कि दस फीसदी सवर्ण आरक्षण दिए जाने के बाद पांच फीसदी का रास्ता साफ हो गया। गौरतलब है कि गहलोत सरकार ने पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता संभाली थी।