कर्नाटक में हालांकि कुमारस्वामी सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है। लेकिन अब सबकी नजर विधानसभा अध्यक्ष पर लगी है। क्योंकि विधायकों के इस्तीफे पर आज उन्हें फैसला लेना है। उधर कांग्रेस और जेडीएस बागी विधायकों को मनाने में लगे हैं। ताकि गठबंधन सरकार से सियासी संकट हट जाए। लेकिन इसी बीच सरकार को समर्थन दे रहे दो निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कि‍या है। जिसके कारण कुमारस्वामी सरकार पर संकट और गहरा गया है।
राज्य में पिछले चार दिनों से चले आ रहे राजनैतिक संकट का आज पटाक्षेप हो जाएगा। क्योंकि कांग्रेस के 11 और जेडीएस के 3 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला आज होगा। विधानसभा अध्यक्ष को आज इन विधायकों के इस्तीफे को मंजूर करना है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष कल तक छुट्टी पर थे, लिहाजा इस पर कोई फैसला नहीं हो सका था। विधायकों ने भी विधानसभा अध्यक्ष पर नैतिक दबाव बनाते हुए इस्तीफा देने के बाद राज्यपाल से मुलाकात की। जिसके कारण राज्य सरकार पर संवैधानिक संकट आ गया।

उधर कांग्रेस और जेडीएस के सभी विधायक गोवा चले गए हैं। इससे पहले वह मुंबई में रूके हुए थे। हालांकि पूरे राजनैतिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि वह सरकार बचा लेंगे। लेकिन सोमवार की रात को दो निर्दलीय विधायकों ने भी राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। जिसके कारण राज्य सरकार की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गयी हैं।

उधर आज बेंगलुरु में बीजेपी विधायक दल की बैठक होने वाली है। वहीं इस बैठक के बाद माना जा रहा है कि बीजेपी आगे की रणनीति तय करेगी। क्योंकि अल्पमत आ चुकी कांग्रेस जेडीएस सरकार, राज्यपाल से मिलकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकती है। इस स्थिति में राज्यपाल बड़े दल होने के नाते बीजेपी को बहुमत सिद्ध करने के लिए कह सकते हैं।

राज्य में बीजेपी के 105 विधायक हैं। गठबंधन सरकार की नजर विधानसभा अध्यक्ष के साथ ही बागी विधायकों पर लगी है। लेकिन इतना तय हो गया है कि गठबंधन की सरकार से कर्नाटक हाथ से निकल गया है। फिलहाल ऐसा कहा जा रहा है कांग्रेस के निष्कासित विधायक रोशन बेग आज बीजेपी में शामिल होंगे।

राज्य में इस राजनैतिक घटनाक्रम के बीच बीजेपी सधे हुए कदम चल रही है। बीजेपी फिलहाल सरकार बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। बीजेपी का पूरा दारोमदार कांग्रेस और जेडीएस के ज्यादा से ज्यादा विधायकों के इस्तीफों पर है। क्योंकि इससे बीजेपी को सदन में बहुमत साबित करने में उतनी ही आसानी होगी।