समाधि के लिए सरकार ने राजघाट के पास भूमि उपलब्ध करवाई है, जिसे ‘अटल स्मृति न्यास सोसाइटी’ अपनी लागत से एक सार्वजनिक स्थल के रूप में विकसित करेगी और इसकी देख-रेख करेगी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 94वें जन्मदिवस के अवसर पर उनकी याद में बनाई गई स्मारक ‘सदैव अटल’राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया। यह स्मारक राष्ट्रीय स्मृति स्थल के पास बनाया गया है।
वाजपेयी की जयंती पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य गणमान्य हस्तियों ने राजघाट के नजदीक स्थित सदैव अटल स्मृति स्थल पर आयोजित प्रार्थना में हिस्सा लिया और श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं वाजपेयी के परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। गत 16 अगस्त को लंबी बीमारी के बाद वाजपेयी का निधन हो गया था। इससे पहले, पीएम नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट कर अटलजी को याद किया। उन्होंने लिखा, 'हम सबके प्रिय, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन।'
हम सबके प्रिय, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2018
Tributes to Atal Ji on his Jayanti. We reiterate our commitment towards creating the India he dreamt of. pic.twitter.com/CnD1NtQCWp
जानिये समाधि की खूबियां
यह समाधि एक कवि, मानवतावादी राजनेता और एक महान नेता के रूप में उनके व्यक्तित्व को दर्शाती है। समाधि के केंद्रीय मंच में चौकोर और काली पॉलिश वाले ग्रेनाइट के नौ ब्लॉक लगे हैं, जिसके केन्द्र में एक दीया रखा गया है – यह नौ की संख्या नवरसों,नवरात्रों और नवग्रहों का प्रतिनिधित्व करती है। नौ चौकोर पत्थरों की इस समाधि का मंच एक गोलाकार कमल के आकार में है। मंच तक चार प्रमुख दिशाओं से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए सफेद मिश्रित टाइलों से मार्ग बनाये गये हैं ताकि फर्श गर्म न हो।
अटल स्मृति न्यास सोसायटी ने इस समाधि को विकसित करने की पहल की थी। यह सोसायटी प्रख्यात व्यक्तियों द्वारा गठित की गई है, जो 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है। सोसायटी के संस्थापक सदस्यों में सुमित्रा महाजन, लालजी टंडन, ओ.पी. कोहली, वजुभाई रूदाभाई वाला, विजय कुमार मल्होत्रा, राम लाल और राम बहादुर राय शामिल हैं।
समाधि के लिए सरकार ने राजघाट के पास भूमि उपलब्ध करवाई है, जिसे सोसायटी अपनी लागत से एक सार्वजनिक स्थल के रूप में विकसित करेगी और इसकी देख-रेख करेगी। समाधि के लिए निर्धारित इस भूमि का मालिकाना हक सरकार का ही रहेगा।
समाधि के निर्माण में देश के विभिन्न हिस्सों से लाये गये पत्थरों का उपयोग किया गया है – इस प्रकार विविधता में एकता पर जोर दिया गया है। समाधि के केंद्र में बनाया गया दीया, खम्मम से प्राप्त लैदर फिनिश काले ग्रेनाइट पत्थर से बना है।
दीये की लौ क्रिस्टल में बनाई गई हैं जिसमें एलईडी लाइटें लगी हैं। अंदरूनी पंखुडियां और बाहरी पंखुडियां और पंखुडियों के बीच का स्थान जो बाहरी परिक्रमा का एक हिस्सा है, उसे क्रिस्टल येलो और नियो कॉपर ग्रेनाइट की रंग संरचना में रखा गया है। इसे आबू रोड़, राजस्थान की सर्वश्रेष्ठ खदानों से प्राप्त किया गया है। रास्तों में लैदर फिनिश काला ग्रेनाइट बिछाया गया है। इस समाधि का निर्माण कार्य सीपीडब्ल्यूडी ने 10.51 करोड़ रूपये की लागत से पूरा किया है। समाधि निर्माण का पूरा खर्च ‘अटल स्मृति न्यास सोसाइटी’ ने उठाया है।
Last Updated Dec 25, 2018, 1:42 PM IST