इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘अटल जी के जीवन पर बहुत सी बातें की जा सकती हैं। घंटों तक कहा जा सकता है फिर भी पूरा नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्तित्व बहुत कम होते हैं।’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के आदमकद पोट्रेट का अनावरण किया है। वह भाजपा के पहले नेता हैं, जिनका चित्र संसद के केंद्रीय कक्ष में लगा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को आदर्शों से कभी समझौता नहीं करने वाला दिग्गज राजनेता बताते हुए कहा कि व्यक्तिगत जीवन के हित के लिए कभी अपना रास्ता न बदलना और लोकतंत्र में स्पर्धी होने के बावजूद एक दूसरे के प्रति आदर भाव रखना.. यह पूर्व प्रधानमंत्री से सीखने वाली बात है।
Delhi: A portrait of former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee unveiled at the Central Hall of Parliament by President Ram Nath Kovind. pic.twitter.com/kKsFn8e2RP
— ANI (@ANI) February 12, 2019
पीएम मोदी ने कहा, ‘अटल जी के जीवन पर बहुत सी बातें की जा सकती हैं। घंटों तक कहा जा सकता है फिर भी पूरा नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्तित्व बहुत कम होते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘व्यक्तिगत जीवन के हित के लिए कभी अपना रास्ता न बदलना, ये अपने आप में सार्वजनिक जीवन में हम जैसे कई कार्यकर्ताओं के लिए बहुत कुछ सीखने जैसा है।’ मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में कोई दुश्मन नहीं होता है। लोकतंत्र में स्पर्धी होते हैं और स्पर्धी होने के बावजूद एक दूसरे के प्रति आदर भाव रखना, सम्मान के साथ देखना.. यह अटलजी से सीखने वाला विषय है।
A tribute to Atal Ji. His portrait has been unveiled at Central Hall. https://t.co/zzBZjZ6kKd
— Narendra Modi (@narendramodi) February 12, 2019
उन्होंने कहा कि अटलजी ने कितने ही साल संसद के गलियारे में समय गुजारा, दशकों तक सत्ता से दूर रहे, फिर भी लोगों की निष्ठा भाव से सेवा की, उनकी आवाज उठाई लेकिन व्यक्तिगत हित के लिए कभी रास्ता नहीं बदला।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने राजनीति में उतार चढ़ाव देखा, जय पराजय आई लेकिन आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया। इसका कभी न कभी परिणाम मिलता है, मोदी ने कहा कि वाजपेयी के भाषण की चर्चा होती है लेकिन उनका मौन आज के समय में मनोविज्ञान की दृष्टि से शोध करने की बात है। जितनी ताकत उनके भाषण में थी, उतना ही अधिक प्रभाव उनके मौन में था। जब सभा में बोलते हुए, वे कुछ पल के लिये मौन हो जाते थे, तब भी लोगों में संदेश चला जाता था। इस युग में भी कब बोलना है, कब मौन रहना है.. यह सीखने जैसा है।
उन्होंने कहा कि अटलजी ने एक प्रकार से परिस्थिति को साध लिया था। वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जो लोकतंत्र को ताकत देने को समर्पित थे। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति नायडू, लोकसभा अध्यक्ष महाजन और राज्यसभा में विपक्ष के आजाद ने भी अपने विचार रखे। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर के अंत में पोर्ट्रेट समिति की बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी का पोट्रेट केंद्रीय कक्ष में लगाने का निर्णय लिया गया था। (इनपुट भाषा)
Last Updated Feb 12, 2019, 1:00 PM IST