अयोध्या मामले को लेकर केंद्र सरकार की ताजा पहल को भाजपा ने पूरी तरह संवैधानिक बताया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 2003 में संवैधानिक पीठ ने ही कहा था कि सरकार को तय करना है कि जो बाकी जमीन है, उसका क्या किया जाए। ऐसे में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यथास्थिति के आदेश को बदलने का अनुरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर 1993 में अधिग्रहीत जमीन को गैर-विवादित बताते हुए इसे मूल मालिकों को लौटाने की अपील की है।

उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। जावड़ेकर ने कहा, कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल का यह तर्क कि मामले की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद हो, इससे साफ हो जाता है कि उसने हमेशा ही राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को रोकने की कोशिश की है। कांग्रेस तो राम को मानती ही नहीं है। राम सेतु पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हलफनामा देकर उसे काल्पनिक बताया था। 

जावड़ेकर ने कहा, भाजपा का हमेशा से यह मत रहा है कि रामजन्मभूमि पर राम मंदिर बनना चाहिए। इसके लिए जिस भी कानूनी उपाय की जरूरत होगी, भाजपा उसका प्रयास करेगी। पीएम नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि लोग राम मंदिर चाहते हैं। लेकिन मामला अदालत के विचाराधीन है। इसके अनुसार ही उपाय किए जाएंगे। कोर्ट में दायर की गई अर्जी भी एक कानूनी फैसला है। 

जावड़ेकर ने आगे कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार की पहल को अनुमति दे देगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार चाहती है कि 0.313 एकड़ की जो विवादित जमीन है उस पर यथास्थिति बनी रहे। उसका कानूनी कामकाज और कोर्ट केस पूर्व की तरह चलता रहे। इसके अलावा भूमि के जिस हिस्से पर कोई विवाद नहीं है, सरकार उसे ही मूल मालिकों को वापस देना चाहती है। 

उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी साफ कहा है कि कानूनी कार्रवाई से ही राम मंदिर बने। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'सरकार का ताजा फैसला भी कानून के तहत है। यह केंद्र सरकार का ही अधिकार है कि गैरविवादित जमीन उसके मालिकों को वापस करे। यह जमीन मुक्त होने से बहुत सारा मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।' 

जावड़ेकर ने दोहराते हुए कहा कि केंद्र सरकार विवादित ढांचे वाले हिस्से को नहीं छू रही है। हम गैरविवादित भूमि को राम जन्मभूमि न्यास व अन्य को वापस करना चाहते हैं। उनकी जमीनें हैं, जो करना है वही करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का कदम असंवैधानिक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद राम मंदिर बनाने की दिशा में न्यास आगे बढ़ सकता है। यह सरकार का निर्णय नहीं होगा।