कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बोले,सबरीमाला, अडल्टरी मामला, कर्नाटक सरकार या शहरी नक्सलियों के मामले जल्द सुनवाई हो जाती है। यह अच्छी बात है लेकिन अयोध्या मामले का भी जल्द समाधान निकले।
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई संविधान पीठ में शामिल एक जज के छुट्टी पर रहने से फिर टल गई है। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से फिर दोहराया गया है कि जनता अयोध्या मामले पर फैसला जल्द से जल्द चाहती है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मंदिर मामला 70 साल से लटका है। देश की जनता अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण चाहती है। बतौर देश के नागरिक मैं कहना चाहूंगा कि इस मामले का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'देश की बहुत बड़ी जनता की अपेक्षा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बोल चुके हैं कि इस मामले का निपटारा संवैधानिक तरीके से होना चाहिए। 'राम जन्मभूमि का मामला कुल 70 साल से लंबित है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी मामला लटका हुआ है। पूरा केस 70 साल पुराना हो चुका है। इस मामले का जल्द हल होना चाहिए।'
Union Law Minister Ravi Shankar Prasad on Ram Temple case: People of the country expect Ram Temple to be constructed in Ayodhya. As a citizen, I would like to say that this issue has been pending for the last 70 years, it should be solved as soon as possible. pic.twitter.com/lngLFDTwqI
— ANI (@ANI) January 28, 2019
प्रसाद ने कहा कि सबरीमाला, अडल्टरी मामला, कर्नाटक में सरकार बनाने के मामले पर या फिर शहरी नक्सलियों के मामले जल्द सुनवाई हो जाती है। यह अच्छी बात है लेकिन अयोध्या मामले का भी जल्द समाधान निकले। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट का सम्मान करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई टल गई है। 2 दिन पहले ही सीजेआई रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए 5 सदस्यीय नई संवैधानिक बेंच का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार लिस्टिंग की ओर से रविवार को जारी नोटिस के मुताबिक संवैधानिक बेंच में शामिल जस्टिस एसए बोबडे 29 जनवरी को मौजूद नहीं रहेंगे, इस वजह से मामले की सुनवाई नहीं होगी।
जस्टिस यूयू ललित के मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने के बाद नए बेंच का गठन किया गया है। पहले से सुनवाई की तारीख 29 जनवरी तय की गई थी लेकिन अब यह तारीख आगे बढ़ा दी गई है। सुनवाई के लिए नई तारीख तय की जाएगी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार को नई संवैधानिक पीठ का गठन किया। इसमें जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर को शामिल किया गया है। बेंच के तीन अन्य जजों में चीफ जस्टिस गोगोई के अलावा, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मई 2011 में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ ही अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
Last Updated Jan 28, 2019, 4:44 PM IST