सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई होने वाली है। जिसके पहले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत मे जबरदस्त दलील दी है। उन्होंने कोर्ट के सामने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि उन्हें अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद स्थल पर प्रार्थना करने का मौलिक अधिकार है।

 उन्होंने अपनी इस मांग को तुरंत सूचीबद्ध किए जाने का आग्रह किया। 

जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने उत्तर दिया कि मंगलवार को जब अयोध्या मामले की सुनवाई होगी तब वह अदालत परिसर में उपस्थित रहें। 

स्वामी ने अपने तर्क के आधार पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अलग से सुनवाई किए जाने की अपील की। लेकिन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 'आप कल(मंगलवार) को अदालत में आइए हम इसे देखेंगे।'

 

इससे पहले दिसबंर 2018 में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक धार्मिक कार्यक्रम में कहा था कि नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है, इसलिए अयोध्या में विवादित स्थल पर मुस्लिमों को दावा छोड़ देना चाहिए। 

स्वामी का कहना था कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे में मंदिर होने की पुष्टि हो चुकी है, इसलिए मुसलमान समाज को अब इस जमीन पर दावा छोड़ देना चाहिए, ताकि राममंदिर का निर्माण हो सके।

उनका यह भी कहना था कि 1994 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि अगर नीचे मंदिर पाया जाता है तो हिंदुओं की इच्छा के अनुसार चलना चाहिए। 

स्वामी ने याद दिलाते हुए कहा कि 'साल 1994 में जब पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान मुझे भी कैबिनेट दर्जा मिला हुआ था। तब  सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से (अयोध्या विवाद के) हल के बारे में पूछा था। 

जिसके  बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने एक बयान दाखिल करके इस सदियों पुराने विवाद का हल तलाश करने के कई विकल्प बताए थे। जिनमें से एक यह भी था कि 'अगर मंदिर के अवशेष पाए जाते हैं, तो हमें हिन्दुओं की इच्छा के अनुसार चलना चाहिए।'

जिसके बाद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पूजा अर्चना के अधिकार को लेकर दायर अपनी याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग सुप्रीम कोर्ट से की। 

जिसपर मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें मंगलवार को अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया। 

 

इससे पहले भी सुब्रमण्यम स्वामी अयोध्या मसले पर जल्द सुनवाई करने की अपील करते हुए याचिका दायर कर चुके हैं। 

जिसपर सुप्रीम कोर्ट से उन्हें फटकार भी लगाई गई थी। तब कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि वह मामले में पक्षकार नहीं हैं, इसलिए इस प्रकार की अपील ना करें।
 
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि विवाद से संबंधित मामले में कुल 14 अपीलें दायर की गई हैं। ये सभी अपीलें 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर बांटने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मई, 2011 को स्टे का ऑर्डर दिया था।