समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान अब प्रवर्तन निदेशालय के शिकंजे में फंस गए हैं। ईडी ने आजम खान से जौहर विश्वविद्यालय के लिए विदेशों आए चंदे की जानकारी मांगी है। क्योंकि आजम खान पर आरोप है कि उन्होंने विदेशों से करोड़ों रुपये का चंदा लिया था और इसकी जानकारी सरकारी एजेंसियों को नहीं दी थी।

आजम खान ने रामपुर में जौहर विविद्यालय के निर्माण की शुरूआत 2006 में की थी। हालांकि उस वक्त उन्हें इस विश्वविद्यालय की अनुमति नहीं मिली थी। इसके बाद राज्य में 2007 में बहुजन समाजपार्टी की सरकार बनी तो आजम खान का ये ड्रीम प्रोजेक्ट सुस्त गति से चलने लगा।

लेकिन 2012 में राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद इस विश्वविद्यालय का निर्माण तेजी से हुआ और आजम खान को विदेशों से चंदा मिला। लेकिन आजम खान ने सरकारी एजेंसियों को इसकी जानकारी नहीं दी। आजम खान ने अपने रूतबे का बेजा इस्तेमाल कर रामपुर में कई संपत्तियों को जौहर विश्वविद्यालय की संपत्ति में मिला दिया और इसमें कई सरकारी संपत्तियां भी हैं।

असल में जौहर विविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिलाने को लेकर पूर्व में विवाद हो चुका है। उस वक्त राज्य के तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेस्वर और बीएल जोशी ने इस विश्वविद्यालय के लिए मंजूरी नहीं दी थी।

लेकिन जैसे ही 2014 में उत्तराखंड के तत्कालीन राज्यपाल अजीज कुरैशी को उत्तर प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार मिला तो उन्होंने संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद विश्वविद्यालय में तेजी काम शुरू हो गया।

फिलहाल ईडी ने जौहर विवि निर्माण में गैरकानूनी रूप से विदेशों से लिए गए करोड़ों रुपये चंदे का का विवरण विश्वविद्यालय के प्रबंधन से मंगाया है। हालांकि ईडी सही जवाब न मिलने पर आजम खान और जौहर विश्वविद्यालय के प्रबंधन पर प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज कर सकती है। हालांकि अभी तक आजम खान पर रामपुर में 50 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं। जिसमें जमीन कब्जा करने से लेकर सरकारी संपत्ति को हथियाने के मामले हैं।