साल 2004 और साल 2009 में समाजवादी पार्टी ने यह सीट जीती। दोनों बार जया प्रदा ने यहां से जीत हासिल की। खास बात यह है कि 2009 में आजम खान के तमाम विरोध के बावजूद जया प्रदा रामपुर सीट से जीतने में सफल रही। रामपुर आजम खान का गढ़ है और उनके कड़े विरोध के बावजूद जया प्रदा की जीत से मिले झटके से वह उबर नहीं पाए हैं।   

यूपी में तीसरे चरण के चुनाव के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी है। 23 अप्रैल को तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की कुल 10 लोकसभा सीटों मुरादाबाद, रामपुर, संभल, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली और पीलीभीत के लिये आगामी 23 अप्रैल को मतदान होगा। वर्ष 2014 में इनमें से सात सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था। वहीं मैनपुरी, बदायूं और फिरोजाबाद सीटें सपा के खाते में गई थीं। 

इन  सभी सीटों के लिए प्रचार भले ही थम गया हो लेकिन इस दौर की सबसे चर्चित सीट रामपुर में निजी बयानों की छींटाकशी जारी है। एक दूसरे पर निजी हमले बंद नहीं हो रहे हैं। भाजपा नेता जया प्रदा पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी के कारण आजम खान के प्रचार करने पर चुनाव आयोग ने 72 घंटे की रोक लगा दी थी। इसके बावजूद उनके बेटे अब्दुल्ला आजम ने सबक नहीं लिया और रविवार को चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भाजपा प्रत्याशी जया प्रदा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। 

रामपुर के पान दरीबा में एक जनसभा संबोधित हुए अब्दुल्ला ने जया प्रदा का नाम लिए बिना इशारों-इशारों में कहा, 'हमें अली और बजरंगबली की जरूरत है न कि अनारकली की।' इससे पहले आजम खान भी जया प्रदा के बॉलीवुड से जुड़े होने की वजह से उन पर कई बार निशाना साधते आए हैं और उन्हें नाचने-गानेवाली भी बोल चुके हैं। 

इस पर अब जया प्रदा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, जैसा बाप-वैसा ही बेटा। इस बयान से पता चलता है कि वह समाज की महिलाओं को किस नजर से देखते हैं। 

जया प्रदा ने अब्दुल्ला के बयान पर कहा है, 'तय नहीं कर सकती कि इस पर हंसा जाए या फिर रोया जाए। बेटा बिल्कुल बाप की तरह है। अब्दुल्ला से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह एक पढ़ा-लिखा शख्स है। तुम्हारे पिता कहते हैं, मैं आम्रपाली हूं और तुम कहते हो कि मैं अनारकली हूं। क्या इसी नजरिए से तुम लोग समाज की महिलाओं को देखते हो?' 

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यही नहीं, समाचार न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक जया प्रदा ने कथित तौर पर कहा, 'आजम खान ने मेरे खिलाफ जो टिप्पणी की है, उसे देखते हुए मायावती जी आपको सोचना चाहिए, उनकी एक्स-रे जैसी आंखे आपके ऊपर भी कहां-कहां डाल कर देखेंगी।' हालांकि इस बयान के बाद चुनाव आयोग के निर्देश पर जयाप्रदा पर असंज्ञेय अपराध की धारा में केस दर्ज किया गया है। 

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दरअसल, जया प्रदा पर हमले का कारण निजी दुश्मनी भी है। साल 2004 और साल 2009 में समाजवादी पार्टी ने यह सीट जीती। दोनों बार जया प्रदा ने यहां से जीत हासिल की। खास बात यह है कि 2009 में आजम खान के तमाम विरोध के बावजूद जया प्रदा रामपुर सीट से जीतने में सफल रही। आजम खान पर ऐसे आरोप भी लगे थे कि 2009 में कई इलाकों में उन्होंने जया प्रदा का प्रचार नहीं होने दिया था। रामपुर आजम खान का गढ़ है और उनके कड़े विरोध के बावजूद जया प्रदा की जीत से मिले झटके से वह उबर नहीं पाए हैं। अब जबकि भाजपा ने आजम खान को घेरने के लिए जया प्रदा को मैदान में उतारा तो उन पर दिए जा रहे निजी बयानों में यह छटपटाहट साफ देखी जा सकती है। 

साल 2014 में क्या हुआ

2014 में भाजपा के प्रत्याशी नेपाल सिंह ने मोदी लहर में समाजवादी पार्टी के नसीर अहमद खान को मामूली मतों के अंतर से हराया। यहां स्वार, चमरौआ, बिलासपुर, रामपुर और मिलक विधानसभा सीटें हैं। बिलासपुर और मिलक सीट भाजपा के पास है। वहीं अन्य सीटें सपा के पास हैं। 

रामपुर का जातीय गणित

मतदाता - 16 लाख से अधिक 
महिलाएं - 7,44,900
पुरुष - 8,72,084
50.57 % मुस्लिम आबादी
45.97 % हिंदू जनसंख्या

कौन-कौन हैं उम्मीदवार ?

सपा की तरफ से आजम खान चुनाव लड़ रहे हैं। वह महागठबंधन के प्रत्याशी हैं। भाजपा ने जया प्रदा को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने संजय कपूर को टिकट दिया है। वहीं एमडीपी के टिकट पर अरसद वारसी किस्मत आजमा रहे हैं। चार निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।