उत्तर प्रदेश में आगामी तीन चरणों के लिए पिछड़ा वार शुरू हो गया है। हर कोई राजनैतिक दल इस वर्ग के मतदाता को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहता है। चुनावी रैलियों में नेता एक दूसरे को दूसरी जाति का बताने से नहीं चूक रहे हैं। इसके लिए राजनैतिक दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू हो गयी है।

असल में पिछले दिनों पीएम नरेन्द्र मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा कि वह पिछड़ा नहीं, बल्कि अति पिछड़े वर्ग में पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह अगड़े-पिछड़े की राजनीति के पक्षधर नहीं हैं। इसके तुरंत बाद बीएसपी प्रमुख मायावती ने पीएम की जाति पर तंज कसते हुए कहा कि पीएम अगड़ी जाति से आते हैं और राजनैतिक लाभ के लिए उन्होंने अपनी अगड़ी जाति को पिछड़ी जाति में शामिल करवा लिया था।

असल में पूरा खेल पिछड़ी जातियों के वोट बैंक का है। जिसके जरिए सभी राजनैतिक दल सत्ता की मलाई खाना चाहते हैं। राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का अपना-अपना वोट बैंक तो भारतीय जनता पार्टी का भी कैडर वोट बैंक है फिक्स है। लेकिन पूरी लड़ाई पिछड़ी जातियों की है, जिसका एक बड़ा हिस्सा खासतौर से यादवों का एसपी के पास है। जबकि ज्यादातर वोट बैंक बीजेपी के साथ है। लिहाजा हर कोई अगड़ा बनाम पिछड़े की राजनीति के जरिए इस वर्ग को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं।

बीजेपी ने राज्य में पिछड़ों की कमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को दी है। उन्हीं के नेतृत्व में करीब 21 बड़े सम्मेलन हो चुके हैं। अगर आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में पिछड़ों की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है। जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश और अवध क्षेत्र में 54 फीसदी आबादी इसी वर्ग से आती है। जातीय आधार पर देखें तो एसपी ने राज्य की 36 सीटों में से 19 सीटों पर पिछड़ी जाति के उम्मीदवार उतारे हैं।

हालांकि इसमें यादवों की संख्या ज्यादा है। एसपी की सूची के मुताबिक इसमें 10 यादव, तीन कुर्मी, निषाद और लोध 10, चौहान (लोनिया) को एक और कुशवाहा को एक टिकट दिया है। वहीं राज्य में एसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही बीएसपी ने भी दस पिछड़ों को टिकट दिया है। इसमें चार कुर्मी, दो यादव, दो गुर्जर, एक कुशवाहा और एक जाट उम्मीदवार हैं।

बहरहाल इस मामले में बीजेपी ने अन्य दलों पर बाजी मारी है। बीजेपी ने राज्य में 26 सीटों पर पिछड़े वर्ग के नेताओं को उतारा है और उसने एक यादव, सात कुर्मी, चार जाट, चार मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा और तीन निषाद और लोध को टिकट दिया है। जबकि अपने अस्तित्व से लड़ रही कांग्रेस 19 पिछड़ों टिकट देकर चुनावी मैदान में दम ठोका है।