लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार अब सड़कों पर नमाज पढ़ने पर बैन लगाने जा रही है। यही नहीं सड़कों पर पूजा अर्चना करने पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा। अलीगढ़ और मेरठ में हुए इस सफल प्रयोग के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना बना रही है। अगर पूरे राज्य में ये लागू होता है तो सरकार एक बड़ा विवाद खत्म करने में सफल होगी। वहीं सभी धर्मों के गुरूओं ने इसे राजनैतिक मुद्दा न बनाने की अपील जनता से की है।

पूरे प्रदेश में हिंदू संगठन सड़कों पर नमाज पढ़ने का विरोध कर रहे हैं। संगठनों का कहना है कि सड़कों पर नमाज पढ़ने के कारण लोगों को दिक्कत होती है और सड़के चलने के लिए किसी पूजा के लिए नहीं। इसके विरोध स्वरूप संगठनों मंगलवार और शनिवार को मंदिर कके सामने की सड़क पर पूजा करना शुरू कर दिया है। इसके बाद राज्य के कई जिलों में दोनों संप्रदायों में कई बार विवाद हो चुका है।

अलीगढ़ में जिला प्रशासन ने सख्ती दिखते हुए सड़कों पर पढ़ी जाने वाली नमाज पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके बाद वहां पर मंगलवार और शनिवार को होनी वाली आरती भी बंद हो गई थी। असल में संगठनों को विरोध सड़कों पर पढ़ी जाने वाली नमाज को लेकर है। हिंदू संगठनों ने साफ किया है कि अगर सड़कों पर पढ़ी जाने वाली नमाज बंद हो जाती है तो वह भी सड़कों पर पूजा करना बंद कर देंगे। 

पिछले दिनों मेरठ और अलीगढ़ जिला प्रशासन ने सड़क पर पढ़ी जानी वाली नमाज को घरों की छतों पर पढ़े जाने के लिए मौलवियों और मौलानाओं से बातचीत की। यही नहीं इन दोनों जिलों में सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ने और पूजा करने के लिए प्रतिबंध लग चुका है। उन्होंने इस अपनी रजामंदी दी और मेरठ में अब सड़कों के बजाए घरों की छतों पर नमाज पढ़ी जा रही है। लिहाजा इसकी सफलता को देखते हुए अब सरकार इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी कर रही है। 
  
धर्म गुरू भी दे रहे हैं समर्थन

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने लोगों से कहा कि वह इस मुद्दे को राजनीतिक रंग न दिया जाए। इसको समझा जाए। अगर ज्यादा लोग होने के कारण सड़क पर नमाज पढ़ी जा रही है तो अन्य धर्मों के साथ भी यही है। उन्होंने कहा इस मामले को समझे और इसका पालन करे। ये किसी एक धर्म के लिए नहीं है।