मध्य असम के मोरीगांव जिले के रहे वाले जोएनाल अबेदीन को कोर्ट ने विदेशी घोषित कर दिया है। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी जोएनाल का नाम चुनाव आयोग की ओर से जनवरी में प्रकाशित मतदाता सूची में मौजूद है। जोएनाल ही नहीं, उसकी 42 साल की पत्नी अनवारा बेगम का नाम भी वोटर लिस्ट में मौजूद है। उनका नाम मध्य असम के जागीरोड विधानसभा के तहत पंजीकृत हैं। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोरीगांव जिले के विदेशी ट्रिब्यूनल ने साल 2012 में जोएनाल, उसकी पत्नी, बेटे हबीजुल रहमान और दो बेटियों मिनारा बेगम और मुस्कुरा बेगम को अवैध विदेशी नागरिक घोषित किया था। ट्रिब्यूनल के इस अदेश को जोएनाल ने दो बार गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने साल 2017 में उन्हें अवैध विदेशी नागरिक घोषित कर दिया। इसके साथ ही असम पुलिस और प्रशासन को उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई करने को कहा। 

हाल ही में असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राज्य में 70,000 ऐसे अवैध विदेश नागरिक मौजूद हैं जिनका पता नहीं लग पा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इन लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल है? असम के कई संगठनों का आरोप है कि अवैध बांग्लादेशी नागरिकों का नाम मतदाता सूची में गलत तरीके से जोड़ा गया है। 

अवैध घुसपैठियों की पहचान करने के लिए असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआसी) को अपडेट किया जा चुका है। 30 जुलाई को प्रकाशित पूर्ण मसौदे  40.7 लाख लोगों के नाम इसमें शामिल नहीं हैं। एनआरसी के पूर्ण मसौदे में 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं। जिन 36 लोगों के नाम इसमें शामिल नहीं हैं, उन्होंने अंतिम लिस्ट में अपना नाम जोड़ने के लिए दे दिए हैं।

आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य के 2.17 करोड़ लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। असम सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार, राज्य में 1.20 करोड़ लोग 17 साल तक की आयु के हैं। यानी ये लोग वोट देने की आयुसीमा से बाहर हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता उपमन्यु हजारिका ने कहा कि बड़ी संख्या में अवैध विदेशी नागरिकों का नाम गलत तरीके से मतदाता सूची में शामिल किया गया। ये लोग पूर्व के चुनावों में वोट डालते आए हैं। 

उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार को जिन 70,000 विदेशियों का पता नहीं चल पा रहा है, ये लोग भी एनआरसी में शामिल हैं और उनके नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं।’ यहां लोकसभा के सियासी समर में उतरी पार्टियां भी इन अवैध नागरिकों को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश करती रही हैं।

वहीं दूसरी तरफ असम के मुख्य चुनाव अधिकारी मुकेश साहू ने कहा कि जो लोग एनआरसी के पूर्ण मसौदे से बाहर रह गए हैं, वो भी लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। अगर उनके नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं। 

असम में अवैध घुसपैठ के बड़ा मुद्दा रही है। इसके लिए छह साल के एक बड़ा आंदोलन चला है।  जनवरी 2019 तक विदेशी ट्राइब्यूनल ने असम में 1,03,764 लोगों को अवैध विदेशी नागरिक घोषित किया है। इसके बावजूद राज्य सरकार अभी तक सिर्फ 29,829 लोगों को ही उनके देश वापस भेज पाई है।   

असम सरकार के डाटा के अनुसार, संदिग्ध विदेशियों के खिलाफ 6,26,793 मामले दर्ज हैं। तीन साल में राज्य सरकार सिर्फ 130 अवैध घुसपैठियों को भी बाहर कर सकी है। साल 2016 में 13, 2017 में 26, 2018 में 65 और साल 2019 में जनवरी तक 26 लोगों को बाहर निकाला गया है।